हेलो दोस्तों, मैं रोमिल साइकिट्रिस्ट आपका फिरसे स्वागत करता हू. पिछले भाग में आपने पढ़ा की कैसे सुयश ने, अपने सौतेले बाप को मजबूर करके अपनी गांद की खुजली मिताई. फिर उसके बाद उसका बाप उससे डोर रहने लगा. अब आयेज-
अब सुयश से अभिमन्यु बात नही कर रहा होता. और रात को भी अभिमन्यु अपने कमरे की खिड़की और दरवाज़ा आचे से बंद कर रहा होता. ताकि सुयश उनकी चुदाई नही देख सके.
सुयश अब बेकाबू हो रहा था. उसने एक दिन देखा, की उसकी मम्मी किचन में थी, और अभिमन्यु टीवी देख रहा था. तो सुयश ने चुपके अभिमन्यु के पीछे से आ कर उसकी आँखों पर हाथ रख लिया.
तो अभिमन्यु ने समझा की सीमा थी. इसलिए वो कुछ नही बोला. अब सुयश अभिमन्यु का सर उपर करके उसके लिप्स को चूमने लगा, और अभिमन्यु भी मदहोश हो कर चूमता रहा. ऐसे ही चूमना चल रहा था की सीमा की किचन से आवाज़ आई-
सीमा: खाना लग गया है.
तभी अभिमन्यु चौंक गया, और झटक से उठ खड़ा हुआ. उसने देखा की वो सुयश था, और वही उसको किस कर रहा था.
अभिमन्यु: ये क्या कर रहे हो तुम?
सुयश: मैं तुम्हे प्यार कर रहा हू.
अभिमन्यु: तुम्हे माना किया था ना मैने, की फिरसे नही करूँगा बोल के.
सुयश (गुस्सा हो कर): तुम तो करोगे, और आज ही आओगे मेरे कमरे में. वरना मैं बोल दूँगा की तुमने मेरे साथ ग़लत हरकत की है.
अभिमन्यु: तुम ऐसे मुझे धमका नही सकते.
सुयश: तो आ जाना आज रात को.
ये बोल कर सुयश खाने चला गया, और अभिमन्यु सोच में पद गया की वो क्या करेगा. फिर जब आधी रात हुई, सुयश इंतेज़ार कर रहा था. लेकिन अभिमन्यु नही आया तो उसने डाइरेक्ट अभिमन्यु के कमरे में जेया कर खटखटाया. फिर सीमा ने दरवाज़ा खोला.
सीमा: क्या हुआ बेटा, आधी रात हुई है, तुम सोए नही?
सुयश: मम्मी मुझे आज तोड़ा दर्र लग रहा है. तो मैं आपके साथ सो जौ?
सीमा: ठीक है बेटा आ जाओ.
अभिमन्यु गहरी नींद में था, और सुयश उन दोनो के बीच में ही सो गया. कुछ देर बाद सुयश ब्लंकेट के अंदर ही अभिमन्यु का लंड हाथ में लेकर सहला रहा था. तो उसका लंड खड़ा हो गया, और वो अपनी गांद में लंड घुसाया.
अभिमन्यु नींद में था. फिर भी उसे अछा लग रहा था. तो वो भी बड़े मज़े से अपना लंड आयेज-पीछे करने लगा, और सिसकियाँ लेने लगा. तभी सुयश मूड कर उसको लीप किस करने लगा, ताकि आवाज़ ना सुनाई दे. ऐसे ही 25 मिनिट छोड़ने के बाद अभिमन्यु का पानी निकल गया.
जब सुबा हुई तो अभिमन्यु ने देखा की उसका लंड सुयश की गांद में था, और पानी भी निकला हुआ था. तो वो समझ गया की रात को नींद में वो सुयश को ही छोड़ रहा था. जब वो सीमा से पूछा की सुयश कैसे आया तो उसने बोला-
सीमा: सुयश दर्र रहा था रात में. इसलिए मैने आने दिया.
अब अभिमन्यु समझ गया था की सुयश किसी भी हद तक जेया सकता था. सुयश ने दो दिन बाद फिरसे अभिमन्यु को रात को बुलाया और बोला की अगर वो नही आया तो वो फिरसे आ जाएगा उसके कमरे में.
अब अभिमन्यु पूरा दर्रा हुआ था. तो वो रात को सीमा के सो जाने के बाद चुपके से सुयश के कमरे में आ गया.
सुयश: मुझे पता था, की तुम आज ज़रूर आओगे.
अभिमन्यु: तुम ये सब बहुत ग़लत कर रहे हो.
सुयश: तुम भी एंजाय करो, सब ठीक लगेगा तुम्हे भी.
अभिमन्यु: तुम बहुत पछताओगे.
सुयश: तुम्हारा लेक्चर बंद करो, और खुश करो मुझे.
ये बोल कर सुयश अभिमन्यु के पास आ गया और उसे किस करने लगा. अभिमन्यु सिर्फ़ खड़ा ही था, और कुछ रिक्षन दे नही रहा था. सुयश उसके बदन को चाट रहा था, और उसका लंड अपने मूह में डाल कर चूस रहा था. जब वो देखा की अभिमन्यु कुछ नही कर रहा था, तो वो बोला-
सुयश: क्या, ऐसे खंबे के तरह क्यूँ खड़े हो गये?
अभिमन्यु: तुम्हे जो करना है करो, मगर मैं कुछ नही करूँगा.
सुयश: अछा ऐसी बात है. तो देखो मेरा जलवा.
अब सुयश ने अभिमन्यु बेड पे लेता लिया, और उसके दोनो हाथो को बेड की दोनो साइड्स में बाँध दिया, और उसके लिप्स को काटने लगा. उसकी बॉडी को चाटने लगा. फिर उसका लंड अपनी मूह के गरम सांसो से खड़ा करने लगा. धीरे-धीरे अब अभिमन्यु भी बेकाबू होने लगा था, और उसकी साँसे तेज़ होने लगी थी. लेकिन सुयश उसको और बेकाबू करना चाहता था.
फिर सुयश ने उसके लंड के टोपे को जीभ से छाता, और अभिमन्यु को सिड्यूस करने लगा. सुयश ने अपनी गांद को अभिमन्यु के लंड के उपर रखा और अंदर-बाहर करने लगा. अब अभिमन्यु भी सब सही ग़लत भूल गया.
अभिमन्यु: खोलो मुझे, मैं तुम्हे छोड़ना चाहता हू.
सुयश: लेकिन ये ग़लत है ना.
अभिमन्यु: ग़लत गया गांद मरने. अब मैं तुम्हारी गांद मारता हू.
अब सुयश खोल दिया हाथ अभिमन्यु के. फिर अभिमन्यु ने डाइरेक्ट सुयश का गला दबा के उसके मूह में अपना लंड घुसा दिया और छोड़ने लगा. फिर उसकी गांद में लंड डाल के छोड़ने लगा पुर ज़ोर से. सुयश को दर्द में मज़ा आ रहा था.
सुयास: आ, अफ ऐसे ही छोड़ो पापा
अभिमन्यु: हा, आज तुझे नही छ्चोधुंगा बे भोंसड़ी के.
ऐसे ही छोड़ता रहा वो सुयश को, और करीब 30 मिनिट तक छोड़ता रहा. फिर पानी निकाल कर सुयश के मूह में पूरा डाल दिया. इधर सीमा को प्यास लगने की वजह से वो उठी. उसने देखा की अभिमन्यु नही था. तो वो बातरूम में गयी.
लेकिन वो वाहा भी नही मिला. फिर जब वो बाहर गयी, तो आ उऊः की आवाज़ सुनाई दी. फिर वो जब सुयश के कमरे के पास गयी, तो देखा की अभिमन्यु का लंड सुयश के मूह में था, और वो दोनो आ उऊः अफ कर रहे थे.
सीमा ज़ोर से चिल्ला कर अंदर घुस गयी, और अभिमन्यु को बहुत गालियाँ दी. लेकिन सुयश अभिमन्यु को बचाने के लिए कुछ नही बोला और बिना बोले ही रहा. सुयश को तब एहसास हुआ की वो कितना ग़लत कर रहा था अपनी मा के साथ और अभिमन्यु के साथ.
फिर अगले दिन सीमा सुयश को लेकर घर छ्चोढ़ कर जाने के लिए जब समान पॅक कर रही थी. तब सुयश ने अपनी ग़लती का एहसास करके अपनी मम्मी को सब कुछ बता दिया, की कैसे उसने अभिमन्यु को फसाया, और मजबूर करके अपनी गांद मरवाई.
अब सीमा ने अभिमन्यु को माफ़ कर दिया और अभिमन्यु ने भी सुयश को माफ़ कर दिया. लेकिन सुयश की जो हर हाल में चीज़ को पाने की चाहत थी, वो ठीक नही थी. और ये उन दोनो को एहसास हुआ. इसलिए सीमा और अभिमन्यु सुयश को लेकर मेरे पास आए, और सुयश ने थेरपी क्लासस लेना शुरू कर दिया.
साल में बात ये है की सुयश को बचपन से ही किसी चीज़ की कमी नही थी. इसलिए उसे सही ग़लत की समझ नही थी. इसीलिए उसे जो पसंद आता था, वो हर हाल में उसे चाहिए था. इसलिए अभिमन्यु को पाने की कोशिश में वो सब भूल गया.
लेकिन अब सुयश को सही ग़लत मालूम है, और वो अब भी अपनी गांद की खुजली मिटाता है. लेकिन अभिमन्यु से नही, बल्कि आचे तरीके से.
तो दोस्तों ये थी मेरे पेशेंट बने दोस्त सुयश की कहानी. आपको कैसी लगी मुझे मेरी ईद महारनकिर्ण999@गमाल.कॉम पर कॉमेंट करके बताइए ज़रूर. धन्यवाद.