वो दिन मेरे लिए बहुत ही ख़ास था. मेरा बेटा विनोद मुझे एक ऐसे सिनिमा हॉल में ले गया जहा गंदी फिल्म दिखाई जाती थी. सवा घंटे की फिल्म के दौरान बेटे के लोड्ा के साथ-साथ मैने 2 अंजान आदमियो के लोड को भी सहलाया.
उनमे से एक आदमी का लोड्ा मैने सिर्फ़ चूसा ही नही, उसके लोड्ा के रस्स को भी पी गयी. सिनिमा हॉल में बैठे सभी लोगों ने मुझे नंगा देखा.
घर वापस आ कर मैने बेटे से पहली बार चुडवाया. ये उसकी पहली चुदाई थी.
उस रात 2-2 डबल पेग विस्की पी कर मैं मस्त हो गयी थी. मेरे पति मेरी चूचियों को मसालते हुए मुझे चूम रहा था, और मेरा बेटा मेरी छूट को खूब प्यार से मसल रहा था. उन दोनो ने भी मेरे जैसे ही विस्की का डबल पेग पिया था.
मैने दोनो बाप बेटे को थोड़ी देर मस्ती लेने दी. उसके बाद मैने दोनो को अपने से अलग किया. मैं बेड पर लेट गयी और बोली-
मैं: बेटा, विस्की ने मुझे बहुत गरम कर दिया है. तुम रूम के बाहर जाओ. मुझे अभी तुम्हारे बाबा से ज़बरदस्त चुदाई चाहिए.
मैने देखा की मेरे पति बहुत ही नशे में थे. मैने सिर्फ़ एक बात गाउन पहना था. मैं करीब-करीब नंगी ही थी.
विनोद ने हिम्मत दिखाई, और वो मेरी एक नंगी जाँघ को सहलाने लगा.
विनोद: बाबा, मैं ज़िंदगी भर आपका गुलाम रहूँगा. आप जो बोलेंगे सब करूँगा. मैं आपका लोड्ा भी चूस दूँगा. मैं अपनी मा, आपकी घरवाली को नंगा देखना चाहता हू. उनके अंग-अंग को सहलाना चाहता हू. मैं मा को प्यार करना चाहता हू. बाबा, प्लीज़ एक बार मुझे अपने डिज़ाइर्स पुर करने दीजिए.
और बोलते-बोलते विनोद का हाथ मेरी जांघों को सहलाता हुआ मेरी छूट पर आ गया. मैने उसका हाथ झटका और गाउन से दोनो जांघों और चूचियों को बढ़िया से कवर कर लिया.
विनोद ने शाम को मुझे छोड़ा था. लेकिन फिर भी मुझे उम्मीद नही थी की अपने बाप के सामने वो सिर्फ़ मुझे नंगा होने की बात नही करेगा, बल्कि मेरी छूट को भी सहलाएगा.
मेरे पति के सामने किसी ने पहली बार मेरी छूट को सहलाया था. 2-2 डबल पेग विस्की पीने के बाद विजय के उपर नशा चढ़ गया था. पिछले 6 महीने से वो मुझे अपने बॉस से छुड़वाने बोल रहा था. बॉस से मैने अब तक नही चुडवाया था. लेकिन बेटे ने मेरी छूट को च्छुआ, शायद वो देख विजय का नशा और भी बढ़ गया.
मैने हल्का सा रेज़िस्ट किया. लेकिन पति ने मेरे गाउन का बेल्ट ही नही खोला, गाउन के दोनो पल्लो को मेरी बॉडी से अलग कर दिया. मैं अपने पति और बेटे के सामने बिल्कुल नंगी थी. दोनो में से किसी ने मुझे टच नही किया.
विजय: करिश्मा रानी, जब विनोद छ्होटा था तब तुम सैंकड़ो बार उसके सामने नंगी होकर उसको खिलती-पिलाती थी, नहलाती थी. अब बेटा बड़ा हो गया तो क्या?
विजय: उसका भी तुम पर उतना ही रिघ्त है जितना मेरा है. ये गाउन हटा दो, और एक बार अपने बेटे के डिज़ाइर्स पुर करो. थोड़ी देर के लिए भूल जाओ की तुम उसकी मा हो. अपने को विनोद की प्रेमिका समझ लो, और उसको प्यार करने दो.
मैं तो पति की उसी पर्मिशन का वेट कर रही थी.
मैं: तुम दोनो कसम खाओ की कभी किसी और को नही बोलॉगे की मैने बेटे को अपना नंगा बदन दिखाया, और बेटे को अपना सब कुछ छूने दिया.
विनोद ने मेरे गालो को चूम कर कहा: मैं मॅर जौंगा, जीभ काट लूँगा. लेकिन कभी किसी से नही कहूँगा, की मैने तुम्हे नंगा देखा.
पति ने भी कसम खाई की घर की बात कभी बाहर वालो को मालूम नही पड़ेगी.
मैं: मैं अपना ये गाउन भी उतार दूँगी. विनोद को सहलाने भी दूँगी. लेकिन पहले तुम दोनो अपने कपड़े उतरो.
बेटा तो अपने बाप के सामने मा को छोड़ना ही चाहता था. मेरे पति को भी कोई शरम नही थी. विनोद अपने कपड़े खोलने लगा, और विजय भी पूरा नंगा हो गया. विजय का लोड्ा तो टाइट था ही, बेटे का लोड्ा देख मेरा दिल खुश हुआ ही, और मेरी छूट भी गीली हो गयी.
बेटे का लोड्ा बाप के लोड से करीब एक इंच ज़्यादा लंबा तो था ही, मोटा भी था. सबसे बड़ी बात, बेटे का लोड्ा भी पूरा टाइट था. मैने अपने दोनो हाथ आयेज बढ़ाए, और एक-एक हाथ से दोनो बाप-बेटे के लोड़ों को पकड़ कर दबाने लगी.
मैं: विजय, मुझे तुम्हारा लोड्ा हमेशा से ही बहुत पसंद है. इसलिए तुमसे पहली बार छुड़वाने के बाद मैने किसी और मर्द को हाथ नही लगाया.
मैं: मुझे ये देख कर बहुत खुशी हो रही है की हम दोनो का बेटा भी पूरा मर्द हो गया है. कितनी भी कक़ची छूट हो, तुम दोनो उसको एक धक्के में ही फाड़ सकते हो.
मैं आयेज झुकी. पहले मैने पति का सूपड़ा चूसा, और बाद में पति के सामने बेटे का सूपड़ा तोड़ा ज़्यादा देर चूसा. विजय ने ना मुझे रोका, ना ही कोई कॉमेंट किया. फिर मैने दोनो लोड छ्चोढे, और बेड पर ही खड़ी हो गयी. मैने अपना बात गाउन भी उतार फेंका. अब मैं भी नंगी थी.
मैने अपने फीट को करीब डेढ़ फीट की दूरी पर रखा. अपने दोनो हाथो की उंगलियो से मैने छूट की फाँक को फैलाया. दोनो बाप-बेटे को मेरी छूट के अंदर का गुलाबी माल दिखाई दिया होगा. मैने छूट को वैसे ही फैलाए रखा.
दोनो बाप-बेटे एक साथ मेरी जांघों को सहलाने लगे.
मैं: विनोद देखो, यही औरत की छूट है. इसी छूट के अंदर घुसने के लिए तुम सभी मर्द पागल रहते हो. पिछले 23 सालों में तुम्हारे बाबा ने कम से कम 5000 बार अपना लोड्ा इस छूट के अंदर पेला होगा. तुम भी इस छूट से ही बाहर निकले हो.
मैं: देख रही हू की तुम्हारा लोड्ा भी मा की इस छूट के अंदर घुसना चाहता है. बेटे से छुड़वाना बहुत बड़ा पाप है. वो पाप तो नही करूँगी. लेकिन आधे घंटे के लिए मैं तुम दोनो को पूरी छूट देती हू. मेरे साथ जितनी मस्ती ले सकते हो लो. लेकिन बाबा के सामने, बस छूट में लोड्ा मत पेलना.
लेकिन मुझे बिसवास था की बेटा भी मुझे छोड़ेगा ही. मैने छूट पर से हाथ हटाया और घूम गयी. अब मेरी पीठ और चूतड़ उनकी तरफ थे. मैं दोनो बाप-बेटे को इतना एग्ज़ाइट करना चाहती थी, की मेरा पति खुद बेटे से मुझे छोड़ने के लिए बोले. मुझे तुर्न हुए एक मिनिट भी नही हुआ की मैने बेटे की आवाज़ सुनी,
विनोद: मा, तुम्हारे चूतड़ कितने कड़क है, और साथ ही कितने चिकने भी.
बेटे का एक हाथ मेरी छूतदो को मसल ही रहा था. विजय भी बेटे के साथ मेरी छूतदो को दबाने लगा. मैं धीरे-धीरे आयेज की तरफ झुकने लगी.
मैने अपने दोनो लेग्स को भी जितना फैला सकती थी फैला दिया. मुझे ये देख कर खुशी हुई की 41-42 साल की उमर में भी मैं आयेज की तरफ पूरी तरह से झुक सकती थी.
मैं इस पोज़िशन में आ गयी थी, की अपने घुटनो के बीच से मैं दोनो का लोड्ा देख सकती थी. वो दोनो मेरी छूट के साथ-साथ मेरी चूचियो और गांद का च्छेद भी देख सकते थे.
मैने अपने दोनो हाथ पीछे किए, और खुद अपने छूतदो को फैलाया, जिससे की दोनो को मेरी गांद का च्छेद सॉफ-सॉफ दिखाई दे.
मैं: बेटा, तेरे बाबा ने 5 हज़ार से ज़्यादा बार मेरी छूट में लोड्ा पेला होगा. लेकिन उन्होने कभी मेरी इस गांद के च्छेद में लोड्ा पेलने की कोशिश नही की. मेरी काई सहेलिया कहती है की गांद मरवाने में भी बहुत मज़ा आता है.
मैं बोल ही रही थी, की मेरा बेटा अपनी एक मिड्ल फिंगर मेरी गांद में घुसने की कोशिश करने लगा.
विनोद: मा, तुम कैसे बोल रही हो की तुम्हारी सहेलियो को गांद मरवाने में मज़ा आता है. मुझे अपनी एक उंगली को तुम्हारी गांद के अंदर घुसने में इतनी तकलीफ़ हो रही है. फिर मेरा मोटा लोड्ा कैसे इस पतले से च्छेद में घुसेगा?
विस्की के नशा के कारण हो या मेरी नंगी जवानी का असर, मेरे पति का कंट्रोल ख़तम हो गया. विजय ने मुझे खींचा और बेड पर फ्लॅट लिटा दिया. देखते ही देखते विजय मुझे छोड़ने लगा.
मेरे पति का लोड्ा मेरी छूट के अंदर-बाहर हो रहा था. मैं फिरसे बेटे के लोड को पकड़ उसको मुठियाने लगी.
विनोद भी विजय और मेरा ही बेटा था. मैं उसका लोड्ा मुठिया रही थी, और बेटा मेरी चूचियो को दबाए हुए बारी-बारी से चूसने लगा.
कुछ देर तो विजय ने आराम से छोड़ा. लेकिन अचानक उसकी स्पीड बहुत तेज़ हो गयी. मैं नही चाहती थी की विजय फिर मेरी छूट में पानी गिराए. मैने एक हाथ आयेज बढ़ा कर पति के लोड को पकड़ लिया.
मैं: विजय, बहुत दीनो से मैने तुम्हारा लोड्ा नही चूसा है. राजा मुझे अपना लोड्ा चुस्वओ. आज मैं तुम्हारा रस्स पीना चाहती हू.
बोलते हुए मैने बेटे को विंक किया.
विनोद: बाबा, आज मैं पहली बार किसी की भी चुदाई देख रहा हू. मैं ये भी देखना चाहता हू की कोई औरत लोड्ा कैसे चूस्टी है, लोड का रस्स कैसे पीटी है. बाबा, मा को लोड्ा चूसने दीजिए.
बाप भी बेटे को खुश करना चाहता था. विजय ने कुछ और धक्के मारे, और अचानक छूट से लोड्ा बाहर खींच कर मेरे बगल में आया. मैं लोड को अपने मूह के अंदर लेने लगी.
बाप अपना लोड्ा मेरे मूह के अंदर-बाहर करने लगा. विनोद मेरी टाँगो के बीच बैठा और मेरी मा के छूट को सहलाने लगा.
विनोद: बाबा, आपको जो लड़की सबसे ज़्यादा पसंद है. आप जिस लड़की को छोड़ना चाहते है. आप उसी लड़की के साथ मेरी शादी करवा दीजिए. मेरी दुल्हन के साथ आप ही सुहग्रात मानना. आप ही उसको दिन रात छोड़िए, मैं कभी माना नही करूँगा.
विनोद: लेकिन मुझे एक बार अपनी घरवाली, अपनी मा को छोड़ने दीजिए. अब अगर मैं मा को, इस खूबसूरत मस्त माल को नही छोड़ पौँगा, तो मैं मॅर जौंगा. अफ मा मुझे छोड़ने दो.
मैं: विनोद नही…
मैं ज़ोर से चिल्लाई, लेकिन बेटे का लोड्ा हर धक्के में मेरी छूट के अंदर घुसता ही चला गया. और उसके बाद बेटा मेरी चूचियों को सहलाते हुए निपल्स को बारी-बारी से चूस्टे हुए अपनी पूरी ताक़त से छोड़ने लगा.
मेरा घरवाला, विनोद का बाप आँख फाड़ कर देख रहा था, की उसका बेटा कैसे उसके सामने ही अपनी मा को छोड़ रहा था. मैं झूठ नही बोलूँगी, विनोद के हर धक्के ने मुझे मेरे प्रेमी कुंदन की याद दिला दी. मेरा बदन हर धक्के के साथ अपने आप से थिरकने लगा.
बेटे की चुदाई देख मेरे पति बहुत ही ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गये, और उन्होने अपना रस्स मेरे मूह में गिरा दिया. मैने सारा रस्स कलेक्ट किया. लोड्ा लूस हो कर मेरे मूह से बाहर निकल गया.
मैने मौत खोला. विनोद ने एक ज़ोरदार धक्का लगा कर, लोड को छूट के अंदर दबाए रखा, और मेरी तरफ देखने लगा. दोनो बाप-बेटे को दिखाते हुए मैने सारा रस्स निगल लिया.
विनोद ने उस दिन दूसरी बार मुझे लोड का रस्स पीते हुए देखा. पहले सिनिमा हॉल में लल्लन का, और उस समय बेटे ने मुझे अपने बाप का रस्स पीते हुए देखा. दोनो चुप थे.
मैं: मैने पढ़ा है, सुना है, की जो औरते अपने मर्द का रस्स पीटी है, वो हमेशा जवान रहती है. विजय, मैं तो कब से तुम्हारा रस्स पीना चाहती थी, लेकिन तुमने मुझे कभी ऐसा करने नही दिया.
मैं: अब तुम माना करोगे तब भी मैं तुम्हारा रस्स पीटी रहूंगी. बहुत ही टेस्टी है तुम्हारा रस्स.
मेरे पति मुझसे बिल्कुल नाराज़ नही थे.
विजय: मैने कभी सोचा भी नही था की अपने सामने तुम्हे दूसरे से चुड़वते देख इतना बढ़िया लगेगा. तुम्हे छोड़ना तो हमेशा बढ़िया लगता ही है, अभी तुम्हे विनोद से चुड़वते देख बहुत बढ़िया लग रहा है.
विजय ने अपने बेटे की पीठ को सहलाया और बोला-
विजय: बेटा, तुम्हारी मा बहुत ही ज़्यादा गरम माल है, इसको मैं अकेले ठंडा नही कर सकता. तुम पुर मर्द हो गये हो. बहुत बढ़िया चुदाई कर रेर हो. मैं बिल्कुल नाराज़ नही हू. तुम जब चाहो अपनी मा को छोड़ सकते हो.
मैं बहुत खुश हुई, और अपने थाइस को बेटे की बॅक पर टाइट्ली क्रॉस किया.
मैं: मुझे भी बहुत बढ़िया लग रहा है. आज से, अभी से मैं तुम दोनो बाप-बेटे की रंडी हू. तुम दोनो मेरे घर वाले हो.
अपने पति के लोड को मैं दोबारा चूसने लगी.