हेलो दोस्तो, मेरा नाम अरबाब है. मेरी आगे 18 साल है और मई तोड़ा मोटा सा हू. मेरे बूब्स भी है और मोटी गांद भी है. मेरे बूब्स और गांद की वजह से अक्सर लड़के मुझे छेड़ते है. मई गे तो नही था, लेकिन ड्राइवर और नौकर ने मुझे गे बना दिया और चुदाई का चस्का लगा दिया.
पहले उन दोनो के बारे मे बता डू. उनमे से एक का नाम है राजू और दूसरे का नाम है अकरम. वो दोनो आगे मे काफ़ी ओल्ड थे और जब से मई पैदा हुआ था, तब से मेरे घर मे काम कर रहे थे.
लंबी हाइट थी दोनो की और हेरी जिस्म था. अकरम की मूचे थी और राजू क्लीन शेव्ड था. दोनो बड़े हरामी थे और उन दोनो ने ही मुझे सेक्स वग़ैरा के बारे मे बताया था.
खैर हुआ यू, की एक दिन कॉलेज के बाद मई ग्राउंड मे बैठा था. मेरे दोस्त चले गये थे और मई ड्राइवर की वेट कर रहा था. तभी मेरी नज़र एक पेवं की तरफ पड़ी, जो काफ़ी देर से मुझे देख रहा था और अपने होंठ काट रहा था.
मई भी उसको देख रहा था, की वो ये क्यू कर रहा था. उसको लगा, की मई उसका इशारा समझ गया था और उसने मुझे उपर आने का इशारा दिया. मई कॉलेज के 4त फ्लोर पे गया और उससे पूछा-
मई: क्या हुआ?
तो उसने मुझे बोला: तुम लंड चूसोगे मेरा?
ये सुन कर मई उसको गुस्से मे बोला-
मई: मई गे नही हू.
और ये बोल कर मई वाहा से चला गया. पूरा दिन ये बात मुझे खा रही थी, की उसने ये क्यू बोला था. काफ़ी दिन सोचने के बाद, मैने सोचा, की अकरम और राजू से बात करू इस बारे मे. क्यूकी मुझे सेक्स वग़ैरा की नालेज उन दोनो से ही मिली थी.
कॉलेज के बाद मेरे पास 4 घंटे होते थे, जब तक मेरे घर वाले जॉब से वापस आते थे. वो सारा वक़्त मई इन दोनो के साथ बैठ कर सेक्स की बाते करता था.
मई: यार तुम दोनो को एक बात बतौ?
अकरम: हा बताओ.
मई: कुछ दिन पहले कॉलेज मे एक बंदे ने मुझे लंड चूसने को बोला.
अकरम: तो तुमने चूसा उसका लंड?
मई: नही-नही, मई गे थोड़ी हू. लेकिन मई काफ़ी दिन से सोच रहा हू, की उसने मुझे ऐसा क्यू बोला.
राजू: तू नही समझ पाएगा, लेकिन तू दिखने मे माल लगता है.
अकरम: राजू ने बात सही की है. क्या मस्त जिस्म है तेरा.
मई: यार वैसे गे सेक्स मई मज़ा आता है?
अकरम: ओहो! ऐसा-वैसा मज़ा आता है.
मई: तुम दोनो ने कभी किया है?
राजू: मैने तो नही किया, लेकिन करना ज़रूर चाहता हू.
अकरम: मैने बहुतो की गांद मारी है.
मई: अछा तो उनको मज़ा आया था?
अकरम: मई ऐसा मज़ा देता था उनको, की रोज़ मेरे पास वापस आते थे.
मई: अछा चलो मई रूम मे जेया रहा हू.
अकरम: अछा सुन एक बात. ऐसे स्ट्रेंजर्स के साथ कभी ऐसे काम ना करना. कल को वो किसी को बता ना दे.
मई: नही यार, मई पागल थोड़ी हू.
अकरम: करना हो तो मई और राजू है ना. हम किसी को नही बताएँगे हहा.
मई: हहा अछा चलो मई चलता हू.
फिर मई रूम मे आया और मेरे दिमाग़ मे अकरम का आखरी डाइलॉग चल रहा था. मई सोच रहा था, की क्या वो दोनो मेरी गांद मारना चाहते थे. और फिर अकरम ने बताया भी, की उसने लड़को को बहुत मज़ा भी दिया था.
फिर मैने रूम लॉक करके पॉर्न खोल दिया और ज़िंदगी मे पहली बार गे पॉर्न खोला. मैने गे पॉर्न देखा और मूठ मारी. आहिस्ता-आहिस्ता मई डेली पॉर्न देखने लगा. मई मिरर मे अपनी गांद और बूब्स देख रहा होता था. सच मे मई दिखने मे गान्डू ही लगता था और मेरी गांद काफ़ी बड़ी थी.
एक दिन शवर के वक़्त मैने उंगली पे आयिल लगाया और आहिस्ता-आहिस्ता उंगली घुसा दी. आयिल की वजह से दर्द नही हुआ और मई आहिस्ता-आहिस्ता फिंगरिंग करने लगा और साथ-साथ मूठ भी मारी. अफ क्या मज़ा आया मुझे.
ऐसे ही काफ़ी दिन चलने लगा और कुछ दिन बाद मई अपनी गांद मे और भी चीज़े डालने लगा. मई गांद मे आराम से हेयिरब्रश का हॅंडल ले लेता था. लेकिन अब मेरा दिल चाह रहा था, की मई असली चीज़ ट्राइ करू.
लेकिन मुझे डाइरेक्ट्ली अकरम और राजू को बोलने मे शरम आ रही थी, इसलिए मैने दूसरे रास्ते का इस्तेमाल किया.
मई अकरम और राजू के साथ बहुत टाइम स्पेंड करता और गे सेक्स की बाते करने लगा. मई काफ़ी टाइट कपड़े पहनता था और उनको अपने जिस्म का उभार दिखता था.
अकरम तो कभी-कभी मेरी टाँग पे हाथ रख देता था और मेरा लंड टाइट होने लग जाता था. एक दिन मुझसे रहा ना गया और मैने सोचा, की आज गांद मरवानी ही है. मैने बीमारी का बहाना किया और कॉलेज से छुट्टी लेली.
फिर जब मेरे घर वाले ऑफीस के लिए निकले, तो मई एक टाइट निक्कर और शर्ट पहन कर अकरम और राजू के रूम मे गया. हमने काफ़ी देर बाते की और मई अक्सर ऐसे पोज़ मे बैठ रहा था, जिससे वो मेरी गांद सही से देख सके. फिर मैने बाते करते-करते गे सेक्स की बात शुरू कर दी.
मई: यार कल गे पॉर्न देख रहा था. एक लड़का बड़े मज़े से लंड चूस रहा था.
अकरम: पक्का गान्डू होगा और काफ़ी टाइम से कर रहा होगा.
मई: यार ऐसा क्या मज़ा आता है लंड चूसने मे?
अकरम: हहा, ट्राइ करके देखोगे क्या?
मई: हहा, मूड तो हो रहा है, लेकिन किसका चूसू?
ये सुनते ही अकरम ने राजू को देख कर स्माइल दी. और मई उठा और दोनो को स्माइल दी और अपने रूम की तरफ चला गया. वो दोनो मेरा इशारा समझ गये थे. फिर वो दोनो मेरे पीछे-पीछे रूम मे आए और दरवाज़ा लॉक कर दिया.
अकरम ने मुझे पीछे से हग कर लिया और बोलने लगा-
अकरम: कितने टाइम से मई तुम्हारी गांद मारना चाहता था.
ये बोल कर उसने मुझे बेड पे फेंका और मेरे होंठ चूसने लगा. ये मेरी फर्स्ट किस थी. अफ क्या मज़ा आ रहा था. मुझे तो लग रहा था, की मेरा कम किस से ही निकल जाएगा. मई और अकरम किस कर रहे थे और राजू ने मेरी निक्कर खींच के उतार दी.
अब वो मेरी गांद को दबा रहा था. किसी और का हाथ गांद पे फील करके मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. 15 मिनिट किस्सिंग के बाद, अकरम पीछे हटा और राजू ने किस्सिंग शुरू कर दी.
अकरम अब मेरी जाँघो और गांद के साथ खेलने लगा था. वो उनको दबा रहा था और चाट रहा था. अफ.. मेरे लंड से तो प्रेकुं लीक होना बंद ही नही हो रहा था.
काफ़ी देर किस्सिंग के बाद राजू ने अपने कपड़े उतारे और अब मेरे सामने उसका लंड था. अफ.. क्या बतौ मई उसके लंड के बारे मे. इतना मोटा, डार्क कलर का और तकरीबन 8 इंच लंबा था उसका लंड. मई डॉगी-स्टाइल पोज़िशन मे आया और उसके लंड पकड़ा.
फिर मैने उसका लंड मूह मे लेना शुरू कर दिया. आधा लंड मेरे मूह मे गया और उसके प्रेकुं का खट्टा सा टेस्ट मैने महसूस किया. राजू ने मेरा सिर पकड़ा और मूह को आहिस्ता-आहिस्ता छोड़ने लगा. तभी मुझे फील हुआ, की मेरी गांद के होल पे गरम-गरम कुछ टच हुआ.
अकरम ने अपना लंड मेरे होल पे सेट किया और थूक लगा कर होल को गीला किया. मई अभी लंड लेने के लिए रेडी ही नही हुआ था, की एक ही झटके मे अकरम ने लंड को घुसा दिया. अभी सिर्फ़ अकरम का टोपा अंदर गया और मुझे दर्द होने लगा.
मई चीख नही पाया, क्यूकी राजू ने मूह को टाइट्ली पकड़ा हुआ था और मेरे मूह मे उसका लंड था. अकरम फिर आहिस्ता-आहिस्ता लंड घुसता गया और मुझे ऐसा लग रहा था, की मेरी गांद चियर कर फटत रही हो. बहुत दर्द हुआ मुझे.
उसका लंड मेरी गांद मे घुसता जेया रहा था और ख़तम ही नही हो रहा था. फिर जब मुझे उसकी जांघे अपनी गांद पे फील हुई, तो मुझे समझ आया, की उसका पूरा लंड मेरी गांद मे घुस चुका था. मुझे अपने पेट तक उसका लंड फील होरहा था.
अकरम ने 1 मिनिट तक लंड अंदर रखा गांद मे अड्जस्ट होने के लिए. जब मेरा दर्द कम हुआ, तो उसने आहिस्ता-आहिस्ता आयेज पीछे होना शुरू कर दिया. थोड़ी देर मे दर्द ख़तम हो गया और अकरम की स्पीड भी तेज़ हो गयी.
राजू का लंड मेरे गले तक जेया रहा था. 15-20 मिनिट स्पीड से छोड़ा अकरम ने मुझे और वो मेरी गांद पे थप्पड़ मार रहा था. वो दोनो मुझे रंडी, गान्डू और पता नही क्या-क्या बोल रहे थे.
मुझे इतना मज़ा आ रहा था, की मेरे लंड से कम निकलना शुरू हो गया था, वो भी बगैर टच किए. अकरम ने 10-15 मिनिट तक मेरी डुमदार चुदाई की और फिर मेरी गांद मे मुझे गरम-गरम लावा जैसा उसका माल फील हुआ.
अकरम ने मुझे हग करके कुछ देर लंड अंदर ही रखा और पूरा माल गांद मे निकाल दिया. फिर अकरम ने लंड निकाला और राजू ने मूह से लंड निकाला. राजू ने मुझे मिशनरी पोज़िशन मे सेट किया और मेरी टांगे उठा दी.
राजू का लंड अकरम से छ्होटा था, लेकिन उससे ज़्यादा मोटा था. उसने तो एक ही झटके मे आधा लंड घुसा दिया. लेकिन अकरम के कम की वजह से मुझे ज़्यादा दर्द नही हुआ. राजू ने दो झटको मे पूरा लंड अंदर घुसा दिया.
राजू अकरम से ज़्यादा रफ था. उसने अब कुत्टो की तरह मेरी गांद बजानी शुरू कर दी. वो मेरे निपल्स भी दबा रहा था और मई आ ऊ अया ऊ की आवाज़े निकाल रहा था. राजू की चुदाई के दौरान मेरा दूसरी बार कम निकल गया.
राजू ने बहुत रफ चुदाई की 30 मिनिट तक और उसने भी अपने माल मेरी गांद मे ही छोढ़ दिया. फिर हम तीनो तक कर वही लेट गये. थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद, अकरम ने वापस छोड़ा मुझे और फिर राजू ने छोड़ा. उस दिन के बाद, मई अकरम और राजू की रंडी बन गया था.
अब डेली कॉलेज के बाद, वो दोनो मेरी गांद का मज़ा लेते थे. आख़िर मे मैने उस पेवं को भी अपनी गांद का मज़ा दिया और काफ़ी और लोगो को भी, क्यूकी मुझे गे सेक्स मे इतना मज़ा आया, की मई अपने आप को कंट्रोल नही कर पाता था.