हेलो दोस्तो, मई हू देवी. मई आज आपके सामने अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आई हू. पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा था, की मुझे पॉर्न देखने की लत लग गयी थी, और मई दिन मे काई बार फिंगरिंग करती थी.
अब मुझे किसी से अपनी छूट चुड़वाणी थी, लेकिन मई बदनामी से डरती थी. फिर एक दिन रात मे मैने हमारे घर के नौकर हरिया, और उसकी बीवी रूपा की चुदाई देखी. उन दोनो की चुदाई देख कर मेरा भी पानी निकल गया. अब मैने सोच लिया था, की मई हरिया से ही अपनी चुदाई कार्ओौनगी. अब आयेज-
मैने हरिया से चूड़ने का फैंसला तो कर लिया था, लेकिन प्राब्लम ये थी, की मई ये सब करूँगी कैसे. हरिया और रूपा दोनो बड़े ही भोले और शरीफ थे. वो ज़्यादा पढ़े लिखे भी नही थे, तो उनको बेवकूफ़ बनाना भी आसान था.
फिर मैने एक स्कीम सोची. मई सुबा-सुबा रूपा के पास गयी और उसको बोली-
मई: रूपा कल मई अपने पंडित के पास गयी थी. उन्होने मुझे एक गंभीर बात बोली है.
रूपा: क्या मालकिन?
मई: जब मई उनसे अपनी फॅमिली के बारे मे पूच रही थी, तो उन्होने बोला, की हम घर मे नौकर ना रखे.
रूपा: ऐसा क्यू?
मई: क्यूकी जो भी हमारे घर मे काम करेगा उस पर मंगल का असर पड़ेगा, और उसकी डेत हो जाएगी.
रूपा: हाए राम! ये क्या बात हुई. अब हमे यहा से जाना पड़ेगा?
मई: नही अब कोई फ़ायदा नही है. जब मैने उनको बताया, की तुम लोग ऑलरेडी काफ़ी टाइम से हमारे घर मे काम कर रहे हो. तो उन्होने कहा, की अब हरिया की जान को ख़तरा है.
रूपा दर्र गयी, और बोली-
रूपा: अब मई क्या करू?
मई: उसको बचाने का एक ही उपाए है.
रूपा: क्या?
मई: उसको किसी को छोड़ना होगा.
ये सुन कर रूपा खुश हो गयी, और बोली-
रूपा: फिर तो चिंता की कोई बात नही है. वो तो मुझे रोज़…
ये बोलते हुए रूपा शर्मा गयी. फिर मई बोली-
मई: नही तुम समझी नही. उनको किसी और लड़की को छोड़ना होगा. और वो भी कुवारि होनी चाहिए.
रूपा: हाए राम! किसी पराई लड़की को?
मई: हा.
रूपा: ये कैसे हो सकता है? वो ऐसा नही करेंगे.
मई: ये तो तुम्हे उनको समझना होगा.
रूपा अब सोच मे पद गयी, फिर वो बोली-
रूपा: लेकिन लड़की कहा से लेके अओ मई?
मई: तुम्हारी कोई रिश्तेदार नही है?
रूपा: है, लेकिन सब शादी-शुदा है.
मई: तो अब?
रूपा: पता नही मालकिन. आप ही बताओ कुछ, की मई क्या करू.
मई: एक चीज़ हो सकती है.
रूपा: क्या.
मई: अगर तुम चाहो, तो मई तुम्हारी मदद कर सकती हू.
रूपा: वो कैसे मालकिन?
मई: मई बाहर वाली भी हू, और कुवारि भी हू.
रूपा: हाए राम! आपके साथ?
मई: हा. उन्होने इतना ख़याल रखा है मेरा. इतना तो मई कर ही सकती हू उनके लिए.
रूपा: वो इसके लिए कभी नही मानेंगे. और अगर बड़ी मालकिन को पता चल गया तो?
मई: किसी को कुछ पता नही चलेगा. तुम बस हरिया को माना लो.
रूपा: मई उनको आचे से जानती हू. वो नही मानेंगे.
मई: अगर तुम्हे उनको बचना है, तो उनको मानना ही पड़ेगा.
रूपा : जो बंदा आपको अपनी बेटी जैसा मानता है. जिसको आपकी इतनी परवाह है. वो आपको छोड़ने के लिए कैसे मानेगा?
मई: मेरी इतनी परवाह है उनको, तो मेरी जान बचाने के लिए तो करेंगे?
रूपा: मतलब?
मई: मा कुछ दीनो के लिए काम से बाहर जेया रही है. हम उन दीनो मे नाटक करेंगे, की मई बीमार हो गयी हू. तुम हरिया से कहना, की डॉक्टर ने कहा है, की मुझे ठीक होने के लिए सेक्स करना होगा. जब हरिया को लगेगा, की वो मुझे छोड़ कर मेरी जान बचा रहा है. फिर तो वो करेगा .
रूपा: वाह मालकिन! क्या दिमाग़ लगाया है. लेकिन आप इतना सब जो कर रही है, मई उसका बदला कैसे चुकोंगी?
मई: क्या मई तुम्हारी छ्होटी बेहन नही हू?
रूपा: ह्म हो.
मई: तो फिर? एक बेहन दूसरी बेहन के लिए इतना को कर ही सकती है.
फिर रूपा वाहा से चली गयी. मेरी मा 2 दिन बाद एक हफ्ते के लिए बाहर चली गयी. उनके जाते ही मई जान बूझ कर फर्श पर बेहोश होके लेट गयी. हरिया ने मुझे देखा, तो मुझे उठा कर बेडरूम मे ले गया. फिर रूपा आई, और उसने हरिया से कहा-
रूपा: इनकी तबियर ज़्यादा खराब लग रही है. मई इनको डॉक्टर के पास लेके जाती हू.
हरिया: ठीक है, ध्यान से जाना.
फिर रूपा और मई थोड़ी देर बाहर आ गये. घर वापस आके रूपा मुझे मेरे बेडरूम मे ले गयी, और मई वाहा लेट गयी. फिर हरिया मेरा हाल पूछने आया. जब वो रूम मे आया, तो रूपा ने उसको चुप रहने का इशारा किया, क्यूकी मई सोने का नाटक कर रही थी.
फिर वो बाहर हरिया को बाहर लेके गयी, और उसको बोली-
रूपा: हरिया एक मुश्किल हो गयी है.
हरिया: क्या मुश्किल.
रूपा: डॉक्टर ने कहा है, की देवी को माहवार (पीरियड्स) की मुश्किल है. उसका छेड़ बंद हो गया है, और उसका खून अंदर जाम रहा है.
हरिया: ये तो बहुत बुरा हुआ. अब हम क्या करे?
रूपा: हम नही तुम्हे कुछ करना होगा.
हरिया: मई क्या कर सकता हू?
रूपा: डॉक्टर ने कहा है, की इसकी छूट को छोड़ कर इसको ठीक किया जेया सकता है.
हरिया: तो उसमे मई क्या करू. हम बड़ी मालकिन को ये बता देते है.
रूपा: उसका टाइम नही है. अब तुम्हे ही इसको छोड़ना होगा. अगर आज रात तक इसकी छूट नही चूड़ी, तो बात हाथ से निकल जाएगी.
हरिया: लेकिन मई कैसे? वो मेरी बेटी जैसी है.
रूपा: हा तो बेटी को बचाने के लिए तुम्हे ये करना होगा. मैने उससे बात कर ली है.
फिर रूपा ने कैसे भी करके हरिया को कन्विन्स कर लिया. अब शाम हो चुकी थी, और रूपा मेरे पास बैठी थी. मैने पिंक पाजामा, और ब्लू त-शर्ट पहनी हुई थी. तभी हरिया मेरे रूम मे आया, और मई जान-बूझ कर काँपने लग गयी.
फिर रूपा जल्दी से हरिया की तरफ गयी, और उसको बोली-
रूपा: जल्दी करो, उसको ठंड लग रही है. उसको छोड़ते हुए यही समझना, की मुझे छोड़ रहे हो. आचे से चुदाई होगी, तो ही उसका छेड़ खुलेगा.
हरिया: ह्म.
फिर रूपा रूम से बाहर चली गयी. मई बेड पर लेती हुई थी, और हरिया मेरे पास आके बैठ गया. उसके कुर्ता-पाजामा पहना हुआ था. वो मेरी तरफ देख रहा था, और उसके चेहरे की तरफ घबराहट थी. मुझे पता था, की अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.
मैने तभी उसके कुर्ते को गले से पकड़ा, और उसको अपने उपर खींच लिया. उसके होंठ मेरे होंठो के साथ चिपक गये, और मैने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए. 2 मिनिट मे वो भी गरम हो गया, और मेरा साथ देने लगा.
उसने अपना दाया हाथ मेरे बूब पर रखा, और उसको मसालने लग गया. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और मेरी छूट गीली होने लगी थी. हमारी किस 15 मिनिट चली, और किस ख़तम होते-होते हरिया की सारी शरम हवा हो चुकी थी.
फिर वो मेरी गर्दन को चूमने लगा, और बूब्स को त-शर्ट के उपर से चूमने लगा. फिर मैने उसका कुर्ता नीचे से पकड़ा, और उपर कर दिया. जब वो कुर्ता उतारने लगा, तो मैने भी अपनी त-शर्ट उतार दी. फिर वो मेरी क्लीवेज और शोल्डर्स को चूमने लग गया.
उसके बाद उसने मेरी ब्रा उतार दी, और मेरे बूब्स को मसल-मसल कर चूसने लग गया. मई आहें भर रही थी, और उसके सिर को अपने बूब्स मे दबा रही थी. वो पागलो की तरह मेरे काससे हुए निपल्स को चूस रहा था. मुझे बहुत शांति मिल रही थी.
फिर वो मेरी कमर पर आया, और मेरी कमर को चूमने-चाटने लगा. वो मेरी नाभि मे जीभ डाल-डाल कर चाट रहा था. मुझे गुदगुदी हो रही थी, और मज़ा भी बहुत आ रहा था उसके बाद हरिया ने मेरा पाजामा नीचे किया, और मेरी जाँघो को चूमने लगा.
मेरी सिसकिया निकल रही थी, और मेरी छूट मे से धड़ा-धड़ पानी निकल रहा था. जाँघो को चूमने के बाद हरिया ने मेरी पनटी उतार दी. अब मेरी कुवारि छूट उसके सामने थी. मेरी छूट पर थोड़े बाल भी थे, क्यूकी थोड़े दिन पहले शेव करी थी.
फिर उसने मेरी छूट पर किस किया, और जीभ रगड़ने लगा. आज तक मुझे फिंगरिंग से भी इतना मज़ा नही आया था, जितना उसकी जीभ से आ रहा था. मई आहह आहह कर रही थी, और उसके सिर को अपनी छूट मे दबा रही थी. वो मेरी छूट मे जीभ डाल-डाल कर पानी चाट रहा था.
फिर उसने मेरी छूट मे उंगली डाली, और मेरी आहह निकल गयी. वो उंगली अंदर-बाहर करने लगा, और मई उत्तेजना से 2 मिनिट मे ही झाड़ गयी. जब मई झड़ी, तो वो हस्स कर मेरी तरफ देखने लगा. मैने शर्मा कर मूह साइड मे कर लिया.
फिर वो मेरी उपर आ गया, और उसकी जांघे अब मेरी जाँघो के बीच थी. उसका लंड मेरी छूट पर रग़ाद खा रहा था, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर उनसे मेरे होंठ चूसने शुरू किए, और नीचे से लंड पकड़ कर मेरी छूट मे रगड़ने लगा. मज़ा इतना ज़्यादा था, की लंड टच होने से एक झटका सा लग रहा था .
फिर हरिया ने अपना लंड मेरी छूट के मूह पर सेट किया, और एक ज़ोर का धक्का दिया. मेरा मूह उसके मूह से पहले से बंद था, तो मेरी चीख डब गयी. उसका आधा लंड अब मेरी छूट मे था. उसने मेरी टांगे मोड़ ली, और धीरे-धीरे झटके देने लगा.
एक-दो मिनिट मे उसने अपना पूरा लंड मेरी छूट मे घुसा दिया. मुझे इतना दर्द नही हुआ, जितना मैने सुना था, की होता है. शायद फिंगरिंग करने की वजह से ऐसा था. अब हरिया का पूरा लंड मेरी छूट मे था, और वो चुदाई करने के लिए बिल्कुल तैयार था.
उसने मेरी छूट मे धक्के देने शुरू किए, और मई उसको अपनी आगोश मे लेके अपने बूब्स चुसवाने लग गयी. धीरे-धीरे उसके धक्के तेज़ होने लगे, और मेरा मज़ा भी बढ़ने लगा. वो छोड़ने के साथ मुझे आचे से चूस भी रहा था.
15 मिनिट वो लगातार मेरी छूट मे धक्के देता रहा. फिर मैने उसको पोज़िशन बदलने के लिए कहा. उसने लंड मेरी छूट मे होते हुए मुझे उपर कर लिया, और खुद मेरे नीचे आ गया. अब मई उसके लंड पर उपर-नीचे होने लगी, और वो भी नीचे से धक्के मार रहा था.
वो हवा मे उछलते मेरे बूब्स को मसल रहा था, और गांद भी दबा रहा था. छूट छोड़ते हुए वो बार-बार मुझे अपनी तरफ खींचता था, और मेरे होंठ चूस्टा था. मई इस वक़्त जन्नत मे थी. इतना मज़ा मुझे ज़िंदगी मे कभी नही आया था.
10 मिनिट मई ऐसे ही उसके लंड पर उछालती रही. फिर वो झड़ने वाला था. उसने मुझे बोला-
हरिया: मालिक मेरा निकालने वाला है. आप नीचे उतार जाओ.
मैने उसको कोई जवाब नही दिया, और ना ही नीचे उतरी. वो समझ गया, की मई उसका पानी अपने अंदर लेना चाहती थी. फिर उसने धक्के तेज़ कर दिए, और आहह आहह करते हुए मेरी छूट मे ही झाड़ गया. मई भी इस दौरान 2 बार झाड़ चुकी थी.
अब मई शांत हो गयी थी, और वो भी ठंडा हो गया था. मई उसके उपर ही लेती हुई थी, और उसके होंठो को चूस रही थी. फिर उसने मुझे साइड पे किया, और उठ कर जाने लगा. तभी मई उसको बोली-
मई: अभी मेरी गांद बाकी है.
हरिया हैरान हो गया, और बोला-
हरिया: लेकिन प्राब्लम तो छूट मे थी.
मैने: मुझे तुमसे चूड़ना था, बाकी सब झूठ था.
ये सुन कर पहले तो वो कन्फ्यूज़ हो गया, फिर वो बोला-
हरिया: मतलब तुम बीमार नही हो?
मई: नही.
हरिया: तो सीधा बता देती. इतनी मस्त लड़की को माना कों करता.
मई: मुझे लगा तुम कुछ ज़्यादा ही शरीफ हो.
हरिया: इतना भी शरीफ नही हू, की सेक्स के लिए माना कर डू.
फिर हरिया मेरे पास आया, और मुझे चूसने लगा. उसने मुझे बेड पर उल्टा लिटाया, और मेरी गांद चाटने लगा. मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था उसके गांद चाटने से. मेरी गांद को गीला करने के बाद उसने अपना लंड मेरी गांद के छेड़ पर सेट किया, और एक ज़ोर का धक्का मारा.
उसके लंड का टोपा मेरी गांद मे चला गया, और मई दर्द से चीख पड़ी. मैने उसको रुकने को कहा, लेकिन वो नही रुका और धक्के मारता रहा. जब पूरा लंड अंदर चला गया, तब जाके वो रुका. मेरी गांद से खून निकल रहा था, और आँखों से आँसू निकल रहे थे.
फिर जब मई नॉर्मल हो गयी, तब उसने धक्के मारने शुरू किए. कुछ ही मिंटो मे मुझे मज़ा आने लगा. उसने मुझे घोड़ी बना लिया, और गांद मारते हुए मेरी पीठ चूमने लगा. वो मेरे बूब्स भी मसल रहा था, और छूतदो पर थप्पड़ भी मार रहा था.
15 मिनिट ऐसे ही छोड़ते हुए वो मेरी गांद मे ही झाड़ गया. फिर हम दोनो लेट गये, और किस्सिंग करने लगे. 5 मिनिट मे मई उठा, और बोला-
हरिया: छ्होटी मालकिन, जब कभी सेवा करवानी हो , तो याद ज़रूर करना.
उसके बाद मैने उससे बहुत बार अपनी चुदाई करवाई, और मज़े लिए.
कहानी अची लगे, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.