ही फ्रेंड्स, मैं 35 साल की मस्त कूदी पुष्पा हू. मेरी गडरल जवानी, भरा पूरा सेक्सी बदन, और ऐसे में मैं अकेली. यानी मैं सिंगल हू. अब ज़ाहिर सी बात है, की 35 साल की उमर में भी मैं भरपूर चुदाई से वंचित हू.
ऐसी भी बात नही है, की मैने चुडवाई ही नही. चुडवाई तो इतनी बार और इतने लुंडो से है, की मेरे पास भी उसका कोई हिसाब किताब नही है. लेकिन पुर मज़े से नही चुडवाई. इसलिए मैं हमेशा छुड़वाने के लिए लालायित रहती हू.
इसी लालसा में मैं चुड गयी एक शैतान से. ज़ालिम ने इतनी ज़बरदस्त चुदाई की मेरी बर की, की मेरी नास्स-नास्स ढीली हो गयी. आज की ये कहानी उसी शैतान से छुड़वाने का पूरा एक्सपीरियेन्स है. मैं अब कहानी पर आती हू.
हमारी कंपनी जो मोस्ट्ली टी बागान के रोज़गार में है, का एक नया प्रॉजेक्ट गुवाहाटी से करीब 100 केयेम दूरी पर शुरू हो रहा था. मेरी नियुक्ति वही कर दी गयी. मैं भरे मॅन से अपनी साइट पर पहुँची. बिल्कुल सुनसान सी जगह थी. कोई भी गाओं उस जगह से 10 केयेम डोर था. बस कंपनी के आदमी ही वाहा रहते थे.
मुझे जो क्वॉर्टर मिला था, उसके करीब में कोई नही था. कुछ दूरी पर दूसरे लोगो का घर था. एक दिन की बात है. दिन के 12 बजे के करीब मेरे क्वॉर्टर के पीछे बाग में एक बेहद खूबसूरत हॅंडसम स्मार्ट लड़का बकरियाँ चारा रहा था.
उस लड़के की उमर 18 से 20 की होगी. लड़को के प्रति मेरी एक कमज़ोरी है, की 18 से 20 आगे के स्मार्ट लड़के को देख कर मेरा मॅन छुड़वाने को मचलने लगता है. उस कमज़ोरी पर वो लड़का एक-दूं फिट बैठ रहा था.
फिर क्या था, मैं उस मनमोहक च्चवि पर ऐसी मोहित हुई, की फिर मैं पीछे मूड ना पाई. लड़का मेरी खिड़की के बिल्कुल पास खड़ा था. फिर बातो का सिलसिला मैने ही शुरू किया. मैने उसको अपने पास बुलाया, और वो आ गया.
फिर मैने उससे नाम पूछा. उसने बिल्कुल छ्होटा सा रिप्लाइ किया-
वो लड़का: जी मेरा नाम सपान है.
मैं बोली: सपान तुम कितने हॅंडसम और स्मार्ट हो, फिर ये बकरियाँ क्यू चरते हो?
सपान बोला: मेरे पेरेंट्स के पास हाइयर एजुकेशन के लिए पैसे नही है. मैं मेट्रिक तक पढ़ा हुआ हू.
मैने ओक किया. फिर सपान बोला-
सपान: वैसे माँ आप भी तो बहुत खूबसूरत हो.
ये सुन कर मैं हस्स पड़ी. इससे सपान का हॉंसला बढ़ा, और वो बोला-
सपान: आपकी ये लंबी काली लातें, मदिरा से भारी आपकी बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें कितनी खूबसूरत है.
मैं सिर्फ़ हा करके आयेज बोली: और क्या खूबसूरत है मेरा?
सपान: आपके ये गोरे-गोरे गाल रस्स-भरे गुलाबी होंठ, मोतियों सी चमकते दाँत कितने सुंदर है.
मैं: अर्रे तुम तो शायरों सी बात करते हो. और बोलो.
सपान ने आयेज कहा: आपके संगेमरमरी बदन पर ये सुडोल तरसती हुई चूचिया कितनी सुंदर और सेक्सी है. इनको देख के मॅन मचल जेया रहा है.
ये सुन कर मैं ज़ोर से खिलखिला के हस्स पड़ी. मुझे लगा सपान मेरे रूपजाल में बिल्कुल फास चुका था. मैं भी तो सपान पर पहले से ही मोहित थी. फिर मैं कसमसा कर बोली-
मैं: सेक्सी बॉडी देख कर मॅन मचल रहा है. तो फिर देर किस बात की है? आ जाओ दो जिस्म एक जान बन कर मज़े करते है.
बस मेरे कहने भर की देर थी. सपान मेरे बिल्कुल करीब आया, और उसने चूमने से शुरुआत की. वो मेरे ललाट को चूमने लगा. फिर वो मेरे गोरे-गोरे गालों को अपनी जीभ से चाटने लगा. मैं सी-सी करती, उससे पहले सपान ने अपने होंठ मेरे गुलाबी रस्स-भरे होंठो पर रख दिए.
वो मेरे होंठो को यू चूसने लगा, जैसे नारंगी की फाँक को चूस रहा हो. मैं कसमसा कर मचल उठी. अनायास ही मेरी नाज़ुक हथेली सपान के लंड पर चली गयी. मस्त कड़क फुफ्कर्ते लंड के आभास से मुझे स्वर्गिक आनंद की अनुभूति हुई.
मुझे लगा क्या मस्त लोड्ा है. आज तो मेरी छुड़वाने की सारी कामना पूरी हो जाएगी. फिर मैने झटके से सपान की पंत को उसके बदन से अलग कर दिया. सपान का मस्त कड़क लंड जो करीबन 08″ लंबा और 04″ मोटा था, मेरी नज़रो के सामने हवा में लहरा-लहरा कर मेरी बर को सलामी देने लगा.
ऐसे मस्त लोड को देख कर मेरी छूट लंड के स्वागत के लिए पानी छोढ़ने लगी. मेरी छूट ताप-ताप से टपकने लगी. मैं उस समय बस एक निघट्य पहने हुए थी. फिर सपान ने एक झटके से निघट्य को मेरे बदन से अलग कर दिया.
मेरा गोरा दमकता तरसा हुआ नंगा जिस्म सपान की आँखों के सामने था. सपान मेरे सेक्सी जिस्म को देख कर मदहोश सा हो गया. उसको शायद और भी मढ़ की ज़रूरत थी. फिर वो धीरे से नीचे बैठ कर, मेरी रस्स टपकती बर पर अपना मूह लवनि की तरह सता कर छत-छत करके बर चाटने लगा.
मैं तो मस्ती में झूमने लगी. मेरे मूह से आ आ आ निकालने लगी. मेरी बर टपकती गयी, और सपान बर चाट-ता गया, चाट-ता गया. मेरा सबर अब टूटने लगा था. मुझे अब कुछ और नही, बस लंड चाहिए था. फिर मैने सपान को झिड़की देके बोली-
मैं: अर्रे सेयेल बुरछट्टे, केवल बर ही चाट-ता रहेगा, या छोड़ेगा भी?
भोंसड़ी के, अपने लोड को बर में थोक, और घमा-घाम करके छोड़ सेयेल.
फिर सपान ने अपना मूह बर से हटाया, और बोला-
सपान: घबरा मत रानी, घबरा मत. तेरी बर में लोड्ा थोक कर ऐसा छोड़ूँगा, की तू अपनी मा को पुकारने लगेगी. तू बोलेगी “मों तू ही संभाल इस लोड को, मेरी तो बर अब फटने वाली है.”
सपान की बातो ने मुझे जोश से भर दिया, और मैं बोली-
मैं: अछा-अछा, मैं क्या करूँगी क्या नही, वो तो बाद में पता चलेगा. पहले तू मेरी बर में अपना लोड्ा थोक, और मार धक्का-धक.
सपान बोला: ठीक है, तो चल. झट से कुटिया बन जेया. मैं कुत्ता बन कर जंप मार कर तेरी बर में लोड्ा डालूँगा. और ऐसे भी मैं नये घर में पहला प्रवेश पिछले दरवाज़े से करता हू.
फिर मैं झट से कुटिया बन गयी. सपान उछाल कर मेरे उपर चढ़ा. उसका लोड्ा बिल्कुल निशाने पर था. सात से उसका लोड्ा बर में समा गया, बर में लोड्ा पा कर मैं फूली ना समाई. मस्त लोड्ा था उसका. ऐसा लोड्ा मुझे पहली बार खाने को मिल रहा था.
फिर मैं गड़-गड़ हो कर बोली: सपान? पहले तू कितनी बर छोड़ चुका है?
सपान: पूछो मत रानी, आंटी लोग मुझसे छुड़वाने को लालायित रहती है. जैसे आज तुम थी. इसलिए मुझे छूट का अकाल नही है. कितनी बर मैं छोड़ चुका हू, मैने गिनती नही की है. लेकिन जिस किसी को मैने छोड़ा है, वो मेरी गुलाम बन गयी.
मैं: चल अब चुप-छाप मस्ती से छोड़. बाते कम कर.
ये सुन कर वो एक-दूं कुत्ते की तरह ढाका-धक छोड़ते जेया रहा था. कुटिया के रूप में पड़े-पड़े मेरी कमर दर्द करने लगी. इस बीच दो बार मेरी बर फुहार छोढ़ चुकी थी. फिर मैं बोली-
मैं: पटट्री बदल ले यार, एक ही तरह से छोड़ते रहोगे तो मैं भाग जौंगी.
अब मैं चिट लेट गयी. मेरी बर का मूह उपर की तरफ था. सपान मेरे उपर आया, और लोड को बर पर रगड़ने लगा. रगड़ते-रगड़ते लोड्ा बर के मुहाने पर गया. सपान को अंदाज़ा हो गया, और उसने खच से लोड्ा बर में डाल दिया.
उसका फौलादी लोड्ा बर को चीरता फाड़ता अंदर घुस गया. अब सपान ढाका धक मेरी बर छोड़ रहा था. मेरी बर फिर दो बार झाड़ चुकी थी, लेकिन सपान अब भी मस्ती से छोड़ता जेया रहा था, छोड़ता जेया रहा था.
चुड़वते-चुड़वते मेरी आँखें बंद हो गयी. सपान को बर में लोड्ा डाले 45 मिनिट से ज़्यादा हो चुके थे. मेरी बर का कचूमर निकल रहा था, पर सपान था की अब भी छोड़े जेया रहा था. उसका माल झाड़ ही नही रहा था.
आँखें बंद किए-किए मैं बोली: झाड़ ना, अब कितना छोड़ेगा.
सपान बोला: मैने तो पहले ही बोला था ना, की तेरी मा को भी मैं छोड़ूँगा, तब भी मेरा लोड्ा नही झदेगा.
सपान को सुन कर मैने अपनी आँखें खोली. फिर मैं ज़ोर से चिल्ला पड़ी. मुझे मेरे उपर भयानक आकृति वाला दानव नज़र आया, लेकिन चिल्लाने के साथ ही सब कुछ सामानया हो गया.
सपान का लोड्ा अब झड़ने वाला था. उसका लंड फूल कर दोगुना हो चुका था, और सपान आ-आ करके झाड़ गया. फिर वो बोला-
सपान: क्या मढ़ भारी बर है तेरी. मैं कल भी अवँगा, और तुझे छोड़ कर जौंगा.
ये कहते हुए सपान बेड से नीचे उतार गया. मेरी पालक फिरसे बंद हो गयी. कुछ देर बाद मैं उठी, तो मेरी आँखों के आयेज वही भयानक आकृति बार-बार आ रही थी. मैं बेहद दररी हुई थी. फिर मैं उठ कर बातरूम गयी.
फ्रेश होके मैं गाते पर गयी, तो मेरे आसचर्या का ठिकाना नही रहा. गाते अंदर से बंद था. मेरे मॅन में आया, की सपान बाहर कैसे गया. वो भयानक आकृति कों था. इन सब बातो ने मुझे भारी उलझन में डाल दिया.
मैं बेहद दर्र भी गयी.
आज की कहानी यही तक. मेरे प्यारे दोस्तो, मैं आगे की कहानी में बतौँगी, की सपान कों था. थॅंक्स.