अंजान आदमी से चुदी मा को बेटे ने डराया

हेलो रीडर्स,

आपकी मेल्स पढ़ के बहुत अछा लगा, की आपको स्टोरी पसन्द आ रही है. और कोई लड़की या भाभी सेक्स छत करना चाहे तो मोस्ट वेलकम.


पिछला पार्ट

“घर की इज़्ज़त मेरे हाथो में-3”.

जैसा की आप लोगों ने पढ़ा कैसे मेरी मम्मी की छूट की आग उनसे क्या-क्या करवा रही थी, और छूट की आग मिटाने के लिए मम्मी अपना जिस्म और अदाएँ एक रो वाले को दिखा रही थी. और ये सब मैं च्छूप के देख भी रहा था.

अब आयेज….

रो का नट निकल गया था, जिस वजह से रो मम्मी के हाथो पे था. ये देख कर रो वाला जल्दी से मम्मी के पीछे से रो संभालने लगा, और उसने अपना लंड मम्मी की गांद में दबा दिया.

वैसे तो मम्मी भी यही चाहती थी. मम्मी ने पनटी तो पहनी नही थी, और रो पकड़ने के चक्कर में मम्मी थोड़ी उपर हुई थी, जिससे मम्मी का गाउन गांद तक हो गया था. काश मैं भी मम्मी को छोड़ पता, लेकिन अभी वो रो वाला मम्मी की छूट के मज़े लेने वाला था

रो वाला: माँ ऐसे ही पकड़ के रखना, मैं इसको फिट करता हू.

रो वाला फिटिंग पे कम ध्यान दे रहा था, और मम्मी की गांद में लंड दबाने पे ज़्यादा. मम्मी भी चुप छाप खड़ी थी, तो रो वाले की हिम्मत तो बढ़नी ही थी.

3-4 मिनिट मम्मी वैसे ही रो को पकड़ कर खड़ी रही, और अपनी गांद में उसका लंड डब्वाती रही. फिर रो वाले ने रो को फिट कर दिया. लेकिन अभी भी वो मम्मी के पीछे ही खड़ा था, और मम्मी भी वैसे ही खड़ी थी.

फिर रो वाले ने अपने हाथ मम्मी के पेट पे रख दिए, और मम्मी की गर्दन पे अपनी नाक रगड़ने लगा और किस करने लगा.

मम्मी: सस्सस्स एम्म्म ऊओह.

फिर रो वाले ने मम्मी के बूब्स गाउन के उपर से ही दबाने शुरू कर दिए. मम्मी भी मस्त एंजाय करती हुई सिसकारियाँ ले रही थी.

मम्मी: ससस्स आअहह आआ सस्स्स्सस्स ऊओह.

फिर रो वाले ने मम्मी को पलट कर अपनी तरफ कर लिया, और मम्मी के गुलाबी होंठो पे किस करने लगा. मम्मी भी उसका पूरा साथ दे रही थी. दोनो का किस 5-7 मिनिट तक चला. फिर उसने मम्मी का गाउन निकाल कर साइड फेंक दिया.

और मम्मी को पूरा नंगा देख के वो पागल सा हो गया. मम्मी अपने घुटनो पे बैठ गयी, और उसकी पंत नीचे कर दी, और उसका 6 इंच का लंड हाथ में लेके सहलाने लगी. रो वाले का तो नसीब खुल गया था.

फिर मम्मी बोली: लंड तो अछा है तुम्हारा.

रो वाला: प्लीज़ जल्दी से मूह में लेलो इसको.

मम्मी: बहुत जल्दी है तुम्हे तो.

फिर दोनो इस बात पे हासणे लगे.

मम्मी ने उसके लंड का टोपा पीछे किया, और उसका लंड मूह में लेके पूरा गीला कर दिया. और फिर धीरे-धीरे चूसने लगी. मम्मी के लंड चूसने से ग्लूप-ग्लूप की आवाज़े आ रही थी, और वो रो वाला तो जन्नत में होगा.

फिर 5-7 मिनिट बाद वो मम्मी के मूह में ही झाड़ गया, और मम्मी भी प्यासी रंडी की तरह सारा माल चाट-चाट कर पी गयी. उसके बाद वो रो वाला भी नीचे बैठ गया, और मम्मी के बूब्स दबाने लगा.

रो वाला: क्या मस्त लंड चूस्टी हो, बिल्कुल रंडियो की तरह.

मम्मी: हॅट! ये रंडी-रंडी मत कर. वरना छूट नही दूँगी.

रो वाला: अर्रे माँ, आप तो नाराज़ हो गयी.

ये कह कर वो मम्मी के बूब्स चूसने लगा. मम्मी को बहुत मज़ा आ रहा था. 2-4 मिनिट बूब्स चूसने और निपल्स को काटने के बाद उसने मम्मी को ज़मीन पे लिटा दिया, और मम्मी की टांगे खोल कर छूट चाटनी शुरू की.

मम्मी बहुत तड़प रही थी. कभी मम्मी अपने बूब्स दबाती, कभी अपने बालों में हाथ फेरती, तो कभी उसका मूह अपनी छूट में दबाती.

मम्मी: आआहह आआआ हह ऐसे ही छातो ऑश ससस्स बहुत मज़ा आ रहा है अया.

वो मम्मी की छूट 10 मिनिट तक चाट-ता रहा, और मम्मी उसके मूह पे झाड़ गयी. वो भी मज़े से मम्मी का सारा माल पी गया.

मम्मी: चल अब डाल भी दे मेरी छूट में.

मम्मी लेती हुई थी, और वो घुटनो पे था. इसी पोज़िशन में उसने मम्मी की छूट में लंड डाल दिया.

मम्मी की छूट में उसका लंड आराम से चला गया था. अब वो रो वाला मम्मी को मज़े से छोड़ रहा था, और मैं अपनी रंडी मम्मी को दूसरी बार किसी पराए मर्द से चूड़ते हुए देख रहा था.

बहुत मज़ा आ रहा था मुझे भी. चाह तो मैं भी रहा था की जाके मम्मी की छूट छोड़ डू. लेकिन हिम्मत नही हो रही थी.

5-6 मिनिट उसने मम्मी को वैसे ही छोड़ा, और फिर उसने मम्मी को उठाया और किचन की स्लॅब पे बिता दिया.

मम्मी उस स्लॅब पे टांगे खोल के बैठ गयी.

स्लॅब के पास ये सब हो रहा था, तो मुझे सारा कुछ नही दिख रहा था. इसलिए मैने भी अपनी जगह चेंज की, और दूसरे सोफे के पीछे से देखने लगा.

मम्मी की टाँगे उसने और खोल दी, और मम्मी एक-दूं से तोड़ा चीखी.

मम्मी: एयाया, क्या कर रहा है? छूट फाड़ेगा क्या?

उसने कोई जवाब नही दिया, और मम्मी को ज़ोर-ज़ोर से किस करने लगा. फिर उसने मम्मी की छूट में लंड डाला, और छोड़ना शुरू किया. इस बार वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था. मम्मी भी ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी थी.

फिर मम्मी ने एक दूं से उसको जाकड़ लिया, और काफ़ी ज़ोर से सिसकारियाँ लेके लगी. मैं समझ गया था, मम्मी झड़ने वाली थी.

फिर आहह आहह करते हुए मम्मी झाड़ गयी, और ढीली पद गयी. लेकिन उसकी चुदाई अभी भी चालू थी.

ऐसे ही 5 मिनिट उसने मम्मी की छूट में दनादन धक्के मारे. अब वो झड़ने वाला था, तो उसने अपना लंड छूट से निकाला, और मम्मी के पेट और बूब्स पे सारा माल छ्चोढ़ दिया.

मम्मी और वो दोनो काफ़ी तक गये थे, और वो मम्मी को किस करने लगा.

मम्मी: मुझे उठा कर सोफे पे ले जेया.

ये सुन के मैं तो जल्दी से साइड वाले छ्होटे सोफे के पीछे हो गया, ताकि ये मुझे देख ना पाए. उसने मम्मी को उठाया, और दोनो बड़े वाले सोफे पे आके बैठ गये.

अब ऐसे मुझे देखने में तो मुश्किल हो रही थी, और पकड़े जाने का रिस्क भी था. तो मैं उठ कर धीरे से मैं डोर के पास रखे शूस रॅक के पास च्छूप गया. वाहा उन दोनो की नज़र जानी तो मुश्किल थी.

मम्मी और वो दोनो आराम से सोफे पे लेते हुए थे, और टीवी तो चल ही रहा था. टीवी चलने की वजह से मेरी आक्टिविटीस की आवाज़े तो नही आ रही थी. लेकिन उन दोनो की सारी आवाज़े आ रही थी.

मैने अपना फोन निकाला, और टाइम देखा तो 1 बाज रहा था. 11 बजे रो वाला आया था. उसके बाद का प्रोग्राम काफ़ी देर चला. अब 1 बाज गये थे. मैं रोज़ कॉलेज से 2- 2:15 तक आ जाता हू. लेकिन मम्मी तो अभी बेफिकर वो रो वाले के साथ नंगी लेती हुई थी, और रिलॅक्स कर रही थी.

मैं भी वाहा आराम से बैठ गया. क्यूंकी 15-20 मिनिट से दोनो ऐसे ही लेते हुए थे. फिर उस रो वाले का फोन आता है, और मम्मी भी उसकी आवाज़ से उठ जाती है.

मम्मी: टाइम क्या हो गया?

रो वाला: 1:30 बाज गया.

मम्मी टाइम सुन कर भी रिलॅक्स ही रहती है, कोई ऐसी हड़बड़ी नही करती की उनका बेटा आने वाला होगा.

फिर वो रो वाला मम्मी को सीधा करता है, और किस करने लगता है. किस करने के बाद वो मम्मी को अपने लंड पे बैठने को कहता है.

मम्मी माना कैसे करती, क्यूंकी मम्मी की छूट में भी बहुत आग है.

इसलिए मम्मी तुरंत खड़ी होके उसके लंड पे बैठ जाती है. मम्मी का मूह टीवी की तरफ होता है, और पीठ रो वाले की तरफ. वो हल्का-हल्का उसके लंड पे हिल रही थी, और वो मम्मी की नंगी चिकनी पीठ चाट रहा था.

मम्मी: आअहह आअहह आआअहह एम्म ऊहह.

दोनो बहुत आराम-आराम से चुदाई एंजाय कर रहे थे. मैने सोचा क्यूँ ना मम्मी की गांद फादी जाए, तो मैने सोचा मैं गाते बजा देता हू मम्मी की गांद फट जाएगी.

फिर मैं बिल्कुल आराम से गाते के बाहर गया, और स्कूटी लाके घर के बाहर ही खड़ी कर दी, ताकि मम्मी को आवाज़ ना आए. स्कूटी लाने में मुझे मुश्किल से ही 2-3 मिनिट लगे होंगे.

हमारे घर में ही एक छ्होटा गार्डेन है, और उस गार्डेन में ही एक गाते डाइरेक्ट खुलता है, और वो दरवाज़ा स्लाइडिंग वाले ग्लास का था.

मैने साइड वाले गार्डेन के गाते से देखा तो मम्मी अभी भी उसके लंड पे उछाल रही थी. और वो मम्मी की गर्दन पे किस कर रहा था, और बूब्स दबा रहा था. मैं मैं डोर पे गया, और गाते नॉक किया.

मे: मम्मी गाते खोलो.

1 मिनिट तक तो कोई आवाज़ नही आई. फिर मैने दोबारा मम्मी को आवाज़ दी. मम्मी ने अंदर से ही जवाद दिया: एक मिनिट, आ रही हू.

मम्मी ने फिर 1-2 मिनिट बाद गाते खोला.

मे: क्या कर रही हो मम्मी? कितनी देर से आवाज़ लगा रहा था.

और इतनी देर हो गयी ये रो वाला क्या कर रहा है अभी तक? क्यूंकी उसकी बिके तो बाहर ही खड़ी थी. मम्मी बहुत घबराई हुई लग रही थी, और मेरे इतने सवाल के बाद मम्मी और ज़्यादा दर्र सी गयी.

उन्होने गाउन पहन रखा था. उनको तोड़ा पसीना आ रखा था, और वो रो वाला किचन में था, और कपड़े भी पहन रखे थे.

मम्मी: हा मैं बातरूम में थी.

और ये रो वाले भैया चले गये थे. फिर अभी थोड़ी देर पहले ही आए.

मे: अछा और ये आपको इतना पसीना क्यूँ आ रहा है? और ये मूह में क्या लगा हुआ है?

मम्मी के मूह पे लिप्स के पास गीला-गीला हो रखा था. उन्होने वो अपने हाथ से सॉफ किया, और बोली-

मम्मी: पता नही ऐसे ही लग गया होगा कुछ.

इतने में वो रो वाला किचन से निकल गया और

बोला-

रो वाला: माँ, रो अब बिल्कुल सही काम कर रहा है. आप चेक कर लीजिए.

मे: अर्रे भैया बहुत देर लगा दी तुमने? 11 बजे आए थे, अब 2 बाज रहे है.

रो वाला: सिर वो मैं बीच में कुछ समान लेने चला गया था, और फिर बिके थोड़ी खराब हो गयी थी. तो देर हो गयी थी.

मम्मी: अछा ठीक है भैया, ये लो पैसे.

पैसे लेके वो चला गया, और मम्मी किचन में रो चेक करने गयी.

मैं भी सोच रहा था की मम्मी कितनी चालाक थी. इतनी सी देर में ही सारी झूठी कहानी बना ली. वो फिर किचन से बाहर आई और बोली-

मम्मी: बेटा कुछ खाना तो मैं बना ही नही पाई. ये रो वाले ने सारा समान फैला रखा था.

किचन में बिल्कुल जगह ही नही छ्चोढी थी उसने.

मे: अछा कोई नही, बाहर से माँगा लेते है.

फिर मैने बाहर से खाना ओर्रदर किया. जब तक खाना आया मैं और मम्मी टीवी देख रहे थे. मम्मी बिल्कुल चुप-छाप बैठी हुई थी, और इतनी खुश भी नही लग रही थी जितनी कल थी.

एक तो मेरे अचानक आने से मम्मी की छूट की आग अधूरी रह गयी, और मेरे एक-दूं से आ जाने से मम्मी काफ़ी दर्र गयी थी. और खैर डरती भी क्यूँ ना, मम्मी एक पराए मर्द से चुड जो रही थी. और ऐसा करते हुए ही बेटा आ जाए, तो कोई भी औरत दर्र जाएगी.

मम्मी मेरे साथ बैठी हुई थी, और मम्मी की सेक्सी मोटी-मोटी जांघें सॉफ दिख रही थी, जिसको देख के मेरा तो लंड पागल हो रहा था.

मैं वैसे तो मम्मी को आराम से छोड़ सकता था, क्यूंकी मम्मी बहुत प्यासी थी, और वो दूसरे मर्दों से चुड भी रही थी 1-2 बार से. लेकिन मेरी हिम्मत नही हो रही थी.

फिर डोरबेल बाजी, और ज़ोमतो वाला खाना लेके आ गया था. मम्मी उठ कर गाते पे गयी खाना लेने.

मम्मी ने जब खाना लेने के बाद गाते बंद किया, तो मेरी नज़र मम्मी पे गयी, तो मम्मी हल्का मुस्कुरा रही थी.

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