ये कहानी मेरी अम्मी की है. मेरे घर में 5 लोग है मुझे मिला के. मेरा नाम काशिफ है और मेरे भाई का नाम ज़ैन है, और मेरी छ्होटी बेहन का नाम खुशी है. पापा पोलीस में है, और अम्मी हाउसवाइफ.
पापा ड्यूटी के सिलसिले में बाहर रहते है, और भाई-बेहन बाहर पढ़ते है. मैं भी बाहर पढ़ता था, लेकिन कॉलेज में कुछ लड़कों से लड़ाई हो गयी थी, तो मुझे कॉलेज से बाहर निकाल दिया. तब से मैं घर ही रहता हू.
तो ये तोड़ा सा डिस्क्रिप्षन था. अब मैं मैं कॉंटेंट पे आता हू, जो की मेरी अम्मी की कहानी है. घर में मेरी अम्मी ज़राइना और मैं रहते है. अम्मी धार्मिक औरत है, और रोज़ पाँच वक़्त की नमाज़ पढ़ती है.
वो रोज़ सुबा जल्दी उठ जाती है, और मैं भी सुबा जाग जाता हू, और अम्मी को सारे काम करते देख अपना लंड सहलाता हू. कभी वो कपड़े धोती है, तो उनकी मदद के बहाने हाथ लगा देता हू, गांद पे या कमर पे. उनके दूध देखता रहता हू, और उनकी गांद. तोड़ा सा मैं फिगर का डिस्क्रिप्षन दे देता हू.
उनका रंग सॉफ और गोरा है, 5’5″ की छ्होटी हाइट है. बदन का साइज़ 36-34-36 है. सीधे शब्दों में माल लगती है, और मुझे रोज़ छोड़ने का मॅन करता है.
तो कहानी कुछ ऐसी है, की मुझे अपनी अम्मी ज़राइना को गैर मज़हब के मर्दों के साथ चूड़ते हुए सोच कर बहुत मज़ा आता था. और मैं रोज़ मूठ मारता था, ये सोच कर की काश कोई गैर-मज़हबी मर्द मेरी अम्मी को रोज़ छोड़े.
अम्मी जब भी सोती थी, तो उनके टाइट कपड़ों से उनके बदन के उभार दिखाई देते थे, और मैं उन्हे देख-देख कर मूठ मारता था च्छूप-च्छूप के. उनकी ब्रा पनटी में मैने बहुत मूठ झाड़े है.
अम्मी जब रोटी बनती तो मैं उनकी गांद देखता. कपड़े धोती तो तब भी. और जब वो सो रही होती, तो उनके दूध और गांद देखता. कुछ वक़्त पहले की बात है. तब मैं छ्होटा था 18 साल का. अम्मी मुझे नादान समझती थी, और मैं अम्मी के पास सोता था.
हर सॅटर्डे को मैं रात भर जाग के अम्मी के सोने का इंतेज़ार करता, और जब वो आधी रात गहरी नींद में होती, तो धीरे-धीरे उनके बदन पे हाथ फेरता. कभी गांद पे हाथ रख के दूसरे हाथ से लंड हिलता, और कभी अपना लंड उनकी गांद पे रख के सो जाता.
एक बार की बात है, ऐसा ही हुआ. वो सो रही थी मेरी जानेमन ज़राइना, और मैने पहले टच करके चेक किया की वो जाग तो नही रही थी. फिर मैने गांद टच करी हाथ से, फिर उनकी गांद दबाई थोड़ी सी. जब उन्होने कुछ नही किया, तो मेरी हिम्मत बढ़ी. फिर मैने कमर पे हाथ डाला.
उसके बाद मैने पीछे से पेट पे हाथ रख दिया. फिर धीरे-धीरे दूध पे हाथ बढ़ाया और अपने हाथ रख दिए. उन्होने कोई रिक्षन नही दिया, तो ऐसा लगा वो बहुत गहरी नींद में सो रही थी. शायद उस दिन काम ज़्यादा कर लिया होगा.
फिर मैने धीरे से अपना लंड उनकी गांद पे रख दिया, और हल्का सा प्रेस किया अपने लंड को उनकी गांद पे. इस पूरी घटना में वो बहुत गहरी नींद में थी. फिर मैने अम्मी की कुरती के अंदर से उनके पेट पे हाथ रखा, और छाती तक हाथ ले गया.
उन्होने ब्रा पहन रखी थी. मैं भी अपना हाथ उनकी ब्रा के उपर रख के, और लंड गांद पे सत्ता के मज़े ले रहा था. फिर मैने हाथ हटाया, और लंड भी, और मैने अम्मी ज़राइना की गांद पे किस करना चालू किया.
कसम से इतना मज़ा आज तक किसी चीज़ में नही आया था. उनकी गांद पे मैने अपना मूह 5 मिनिट तक लगाए रखा, और लंड को हल्के हाथ से सहलाता रहा. कभी एक चूतड़ पे चुम्मि करता, तो कभी दूसरे पे.
फिर मैने अम्मी की कुरती में हाथ डाला, और पीछे से उनकी पीठ पे हाथ फेरा, और ब्रा के हुक तक हाथ ले गया. मैने फिर किसी तरह थोड़ी कोशिश करके उनकी ब्रा अनहुक कर दी. उसके बाद उनके दूध जैसे किसी क़ैदी की तरह बाहर आ गये हो.
फिर मैं ने थोड़ी देर तक कुछ नही किया, और चुप-छाप लेता रहा, की कही अम्मी ज़राइना जाग ना जाए. जब कुछ नही हुआ, तो मैने अपना लंड उनकी गांद पे सताया, और हाथ उनके पेट पे रख दिए, और पूरा छिपात गया पीछे से.
फिर मैं अपने हाथ ज़राइना(अब से मैं अम्मी नही डाइरेक्ट ज़राइना बोलूँगा कभी-कभी माल या रांड़) के दूध तक ले गया, और ब्रा हल्के से पेट पे सरका दी. उसके बाद ज़राइना के दूध नंगे मेरे हाथो में थे, और मैं अम्मी के दूध पकड़ के काफ़ी देर लेता रहा.
मेरा मॅन तो कर रहा था, की अम्मी उठ के बोले: बेटा अब सलवार भी खोल दो, और बेटे से शौहर बन जाओ.
लेकिन वो नींद में थी. अगर जाग रही होती, तो मुझे बहुत मार्टी. उसके बाद मुझे ऐसा लगा, मैं जन्नत में था. मैने अम्मी के दूध पकड़ रखे थे, और गांद पर सलवार के उपर से लंड सत्ता रखा था. मैं अपने मूह से उनकी गर्दन पे किस कर रहा था हल्के-हल्के, ताकि उनको पता ना चले.
फिर मैं हाथ निकाल के रंडी ज़राइना की गांद दबाता, और कभी दूध. ऐसा करते-करते मेरा पानी निकल गया, और मैं लेता सोचता रहा की जब सोते में इतने मज़े आ रहे थे, तो ज़राइना अगर खुद चूड़ेगी अपनी मर्ज़ी से, तो क्या होगा.
फिर उसके बाद मैने उनके हुक बहुत आराम से लगाए. उनको आराम से लगाने में मुझे 10 मिनिट लगे ताकि वो जागे नही. उसके बाद मैने फिरसे अपना लंड अम्मी ज़राइना की गांद के सुराख में लगाया, जो की फिरसे टाइट हो गया था, और उनके दूध को उनकी कमीज़ के उपर से पकड़ कर लेट गया.
मैं सोचने लगा आज मेरी ज़राइना मेरी अम्मी नही मेरी रुंडी थी. खूब मज़े आए उस रात, और वो सोती रही. फिर सुबा सब नॉर्मल था, और मैं भी खुश था. ऐसा फिर कभी मौका नही मिला. उसके बाद मैं सिर्फ़ यही सोचता की ऐसा मौका कब मिलेगा.
फिर कुछ वक़्त बीट गया. अब मैं अपने दोस्तों से अपनी अम्मी को छुड़वाने के सपने देखने लगा. ये सपना भी पूरा हो गया. उसको नेक्स्ट स्टोरी में डीटेल में बताता हू. वो स्टोरी इस से भी ज़्यादा एरॉटिक है.