ही दोस्तो, उमिद है आपको मेरी “तारक मेहता का ऊलतः चश्मः” चुदाई कहानी का पिच्छला पार्ट पसंद आया होगा. अब आयेज पढ़िए..
अब सुखी और अंजलि अपने-अपने बाबा के साथ पूजा करने के लिए मंज़ियो पर लेट गयी. सुखी को पता चल गया था, की उसकी चुदाई होने वाली थी और अंजलि को तो पहले से ही पता था, की उसकी चुदाई होगी.
पहले तो सुखी ने सोचा, की वो चुदाई के लिए ना कर देगी. लेकिन फिर उसने सोचा, की मज़ा लेने मे हर्ज ही क्या है. अब बाबा अंजलि की तरफ आया और पहले तो उसने अंजलि की छूट मे से डंडे को निकाल दिया और फिर उसको खड़े होने के लिए कहा.
जैसे ही अंजलि खड़ी हुई, तो उसपे खूब सारा पानी आया. पानी से अंजलि पूरी तरह से भीग गयी थी. अंजलि अब काँपने लग गयी थी, क्यूकी पानी बहुत ठंडा था. दूसरी तरफ सुखी का भी यही हाल था. उसपर भी पानी गिराया गया और वो भी पानी से पूरी तरह से भीग गयी थी.
फिर बाबा अंजलि की तरफ आए और अंजलि को खड़ा करने लगे. अंजलि को खड़ा करने के साथ ही बाबा उसके जिस्म से तपाक रही बूँदो को अपने होंठो से चाटने लगा. अंजलि को इससे मज़ा आने लगा था, क्यूकी इससे अंजलि के अंदर की हवस धीरे-धीरे जागने लगी थी.
बाबा अंजलि के पुर जिस्म को मज़े से चाट रहा था. वो बड़े प्यार से अंजलि के जिस्म का मज़ा ले रहा था. फिर थोड़ी देर अंजलि को चाटने के बाद, उसने अंजलि को मंजी पर लिटा दिया. लिटाने के बाद बाबा ने अंजलि के बूब्स के निपल्स को अपने मूह मे लेके चूसना शुरू कर दिया.
अंजलि को खूब मज़ा आ रहा था और बाबा भी खूब मज़े से उसके निपल्स चूस रहा था. आहह.. आहह.. की सिसकिया अंजलि के मज़े को दिखा रही थी और बाबा का जोश बढ़ा रही थी.
दूसरी तरफ सुखी का भी ऐसा ही हाल था. उधर भी बाबा ने सुखी को मंजी पर गिरा दिया और वो भी उसके बूब्स के निपल्स को मज़े लेकर चूस रहा था. वो उसके निपल्स को काट-काट कर मज़ा ले रहा था. सुखी और अंजलि दोनो ही अपनी-अपनी जगह मज़े मे थी.
थोड़ी देर बाद सुखी वाला बाबा उसके जिस्म को चूमते हुए उसकी छूट तक आ जाता है. इधर अंजलि का बाबा उसको बोलता है-
बाबा: तुझे बच्चा चाहिए ना?
अंजलि: हा चाहिए.
फिर बाबा अपने एक शिष्या को आवाज़ लगता है और कुछ लाने के लिए बोल देता है. उसके बाद बाबा अंजलि को कुछ खाने के लिए देता है. फिर वो कोई लाल रंग की चीज़ अपने हाथो लेके अपनी उंगलियो पर लगता है और वही उंगलिया अंजलि की छूट मे डाल देता है.
अंजलि को एक-दूं से छूट मे जलन होती है और वो तड़पने लगती है. लेकिन थोड़ी देर मे ही अंजलि की जलन ख़तम हो जाती है और उसको आराम मिलता है. अंजलि को एहसास होता है, की अब उसको बच्चा होने मे प्राब्लम नही होगी.
उधर सुखी की टाँगो को बाबा ने उठा लिया था और बाबा सुखी की छूट को चाट रहा था. सुखी को अपनी छूट चटवाने मे बहुत मज़ा आ रहा था और सुखी मज़े से आहह.. श.. की सिसकिया भर रही थी.
थोड़ी देर छूट चटवाने के बाद सुखी का पानी निकल गया. बाबा ने सुखी का सारा पानी अपने मूह मे लेके पी गया और बोला-
बाबा: क्या मस्त पानी था तेरी छूट का सुखी.
तभी बाबा ने सुखी से पूछा-
बाबा: सुखी तुझे भी बच्चा चाहिए क्या?
पहले तो सुखी ने बाबा को माना कर दिया. लेकिन फिर उसने सोचा, की उसकी चुदाई तो होने ही वाली थी, तो क्यू ना वो भी एक बच्चा पैदा कर ले. ये सोच कर सुखी ने बाबा से कहा-
सुखी: हा बाबा जी, मुझे बच्चा चाहिए. लेकिन मेरा तो ऑपरेशन हुआ पड़ा है.
इस्पे बाबा ने कहा: उससे कोई फराक नही पड़ता. तेरा बच्चा हो जाएगा.
सुखी बोली: ठीक है बाबा जी.
फिर बाबा उठा और बाहर जाके एक डंडा लेके आया. उस डंडे पर काला-काला कुछ लगा हुआ था, जिसको देख कर सुखी दर्र गयी. सुखी ने तुरंत बाबा से पूछा-
सुखी: बाबा जी ये क्या?
बाबा बोला: कुछ नही, ये काम की चीज़ है. इससे तेरी छूट मे थोड़ी जलन होगी, बस तू डरना मत.
सुखी ने कहा: ठीक है बाबा जी.
फिर सुखी ने अपनी दोनो टाँगो को खोल कर मज़बूत कर लिया. बाबा ने सुखी की छूट के द्वारो को खोला और वो डंडा सुखी की छूट के अंदर डाल दिया. जैसे ही तोड़ा सा डंडा सुखी की छूट मे गया, तो उसको जलन होने लग गयी.
जलन की वजह से सुखी ने आहह.. ऑश.. की आवाज़े करनी शुरू कर दी और सुखी को दर्द होना भी शुरू हो गया था. फिर धीरे-धीरे सुखी की जलन कम होने लग गयी और सुखी डंडे का मज़ा लेने लग गयी.
तभी जैसे ही बाबा ने डंडे को और तोड़ा सुखी की छूट मे धकेला, तो दर्द के मारे सुखी की जान निकलनी शुरू हो गयी और वो मरने वाली हो गयी.
अब बाबा डंडे को सुखी की छूट मे अंदर-बाहर करने लग गया. थोड़ी देर तक बाबा ने डंडे को सुखी की छूट के अंदर बाहर किया और सुखी “आहह आहह मार दिया” की आवाज़े करती रही.
फिर सुखी के ऑपरेशन की जगह पर बाबा ने डंडा घुसना शुरू कर दिया. उसने डंडा अंदर-बाहर करना शुरू किया और सुखी की छूट से खून निकालने लग गया. सुखी को दर्द हो रहा था और सुखी दर्द को सहन करने मे लगी हुई थी.
अब सुखी की छूट से ऐसे खून निकल रहा था, जैसी किसी कुवारि लड़की की छूट से निकलता है. कुछ देर बाद बाबा ने सुखी की छूट से डंडा निकाल लिया. अब सुखी की छूट खून से भारी पड़ी थी. फिर बाबा ने एक कपड़ा लिया और सुखी की छूट से निकलते खून को सॉफ किया.
उसके बाद बाबा ने सुखी की छूट मे अंजलि वाला माल डाला. सुखी को भी पहले जलन हुई और उसके बाद उसको भी ठंडा-ठंडा फील होने लगा. थोड़ी देर मे ही सुखी को मज़ा आने लग गया और वो सब कुछ मज़े से करवाने लगी.
अब सुखी को थोड़ी देर छोढ़ देते है और अंजलि की तरफ चलते है. अंजलि मस्त लग रही थी. फिर थोड़ी देर बार बाबा ने अपना काम चालू कर दिया. अब वो अंजलि की छूट मारने के लिए तैयार था.
फिर बाबा ने अंजलि की टाँगो को उठाया और अपना लंड उसकी छूट पर रगड़ने लग गया.
अब आयेज क्या होने वाला है, वो आपको अगले पार्ट मे पता चलेगा. कहानी की फीडबॅक देने के लिए मुझे मैल ज़रूर करे.