मैं नरेंद्र नाथ हूं। एक बड़ी कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर हूं। लोग प्यार से मुझे नरेन कहते हैं। अभी मैं 52 साल का हूं। लेकिन जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूं वो पॉंच साल पहले घटी थी।
वो शनिवार की सुबह थी। सुबह साढ़े सात बजे मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर नाश्ता कर रहा था। मेरे सामने मेरी पत्नी अणिमा बैठी थी, और कुछ दूर पर स्कर्ट और ब्लाउज़ पहन कर नम्रता सोफ़ा पर बैठी थी। मैंने उसे भी नाश्ता करने के लिए कहा। नम्रता ने कहा कि उसने दूध पी लिया था, और अपनी सहेली किरण का इंतज़ार कर रही थी।
नम्रता: माँ, मेरा खाना मत बनाना, सहेलियों के साथ होटल में खाना खाकर आउंगी। और डरो मत, वहां किसी यार से मिलने नहीं जा रही हूं। डेढ़-दो बजे तक वापस आ जाउंगी।
मेरी पत्नी ने बिना बेटी की ओर देखे कहा: तू जवान हो गई है, किसी यार के साथ मिलेगी तो भी मैं नहीं रोकूंगी। तेरी उम्र में बहुत सी लड़कियां शादी भी कर लेती है और बच्चे भी पैदा हो जाते हैं। तुझे भी शादी करनी है तो बोल, लड़का देखना शुरू कर दूं। 2-3 बढ़िया लड़के हैं मेरी नज़र में।
अणिमा ने एक बार भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा कि उसकी बेटी क्या कर रही थी। अगर वो पीछे देखती भी तो उसे दिखाई नहीं पड़ता कि लड़की ने अपना स्कर्ट कमर से उपर उठा दिया था। मुझे आंखों से इशारा करते हुए अंगुलियों से चूत की फांक को अलग कर दिया था। एक -डेढ़ मिनट बेटी ने अपनी चूत के अंदर का गुलाबी माल का नजारा मुझे दिखाया। लड़की ने पैंटी नहीं पहनी थी। बेटी की चूत देख कर मेरी हालत ख़राब हो गई थी। जी कर रहा था कि पत्नी के सामने ही बेटी की चूत में लंड पेल दूं।
नम्रता की हरकत देख कर कोई संदेह नहीं रह गया कि लड़की खुल कर चुदवाने लगी थी। तीन महीने पहले ही तो उसका 19 वां जन्मदिवस था। वो वैसे ही स्कर्ट को कमर के उपर उठा कर बैठी रही और एक-एक कर ब्लाउज़ के चारों बटनों को खोल दिया और ब्लाउज़ के दोनों पल्लौं को पूरा फैला दिया।
मेरी बेटी नम्रता मुझसे 10-12 फ़ीट की दूरी पर नंगी बैठी थी। गंदी हरकतें कर रही थी। मेरी ओर मुस्कुराते हुए देख रही थी, और बाएं हाथ की बीच बाली अंगुली को अपनी चूत के अंदर-बाहर कर रही थी। उसकी गंदी हरकत मुझसे यह साफ़-साफ़ कह रही थी कि “पापा, मुझे चोदो।”
2-3 मिनट अपनी अंगुली से खुद को चोदा होगा, तभी बेल बजी। मेरी बेटी ने चूत से अंगुली निकाली, और मुझे देखते हुए अंगुली को ऐसे चूसने लगी, मानो दिखा रही हो कि ऐसे लंड चूसती थी। नम्रता खड़ी हुई और हमारी तरफ़ पीठ करती हुई दरवाज़े तक गई। उसने ब्लाउज़ का बटन बंद कर लिया होगा। दरवाज़ा खुला तो बेटी की आवाज़ सुनाई दी।
“आ किरण, तेरा ही इंतज़ार कर रही थी।”
अपनी सहेली की बात का जवाब ना देकर किरण मेरी तरफ़ बोलते हुए आई।
“गुड मॉर्निंग अंकल, आप तो दिन बा दिन और भी जवान और खूबसूरत होते जा रहे हैं। अंटी, आप अंकल के साथ 24 साल रह ली। आप नरेन को तलाक़ दे दो, मुझे अंकल से शादी करनी है।”
मेरे दोनों गालों को चूम कर वो अणिमा के पास गई। उससे गले मिल कर दोनों ने एक दूसरे का गाल चूमा।
अणिमा ने कहा, “तलाक़ देने की या शादी करने की क्या ज़रूरत है? रात को मेरे साथ रह जा, दोनों मिल कर देखेंगे की तुम्हारे नरेन में 2-2 रंडी को ठंडा करने का दम है की नहीं।”
किरण अक्सर हमारे घर आती थी। लेकिन उस दिन से पहले ना तो उसने कभी मुझे चूमा था, ना ही मुझसे शादी करने की बात की थी। मेरी बेटी सब कुछ देख रही थी, सुन रही थी। उसने जवाब दिया, “किरण आज रात यहीं रहेगी। लेकिन तुम दोनों के साथ सोने नहीं मेरे साथ रहेगी। कुतिया, जल्दी चल, लेट हो रहा है।”
दोनों लड़कियों ने मुझे आंख मारी और अपना-अपना हैंड बैग लेकर बाहर चली गई। मेरी पत्नी ने किरण के हरकतों के बारे में कुछ नहीं कहा। लेकिन मैं दोनो लड़कियों को जल्द से जल्द चोदने के लिए बेताब हो गया।
कॉलेज में पढ़ता था तभी से एक टीचर की घरवाली अपने से दोगुना उम्र की औरत को चोद कर अपनी चुदाई की ज़िंदगी की शुरुआत की थी। वो औरत मुझसे इतनी खुश हुई कि कई शादीशुदा औरतों के साथ-साथ कॉलेज की कई लड़कियों को भी मुझसे चुदवाया। फिर मुझे चुदाई की लत लग गई। जैसे-तैसे कर हर महीने 2-3 नई माल को चोदने लगा।
इंजीनियर की फ़ाइनल परीक्षा ख़त्म होने के एक महीने के अंदर अणिमा से मेरी शादी हो गई। लेकिन बहुत ही खूबसूरत पत्नी के होने के बाद भी मैं इधर-उधर मुंह मारता रहा। नौकरी भी ऐसी मिली जहां औरतें ही औरतें थी। मुझे नई माल के लिए कभी भटकना नहीं पड़ा।
लेकिन, सैकड़ों माल हाथ में रहने के बाद भी मेरा लंड अब सबसे पहले अपनी बेटी नम्रता और उसकी सहेली किरण के बुर में ही घुसना चाहता था। लेकिन बेटी को कैसे पटाऊं, कैसे चोदूं, सोच ही रहा था कि बेटी की बात याद आई कि-
“मैं 2 बजे तक घर आ जाउंगी।”
पत्नी एक बड़ी कोआपरेटिव बैंक में अधिकारी थी। साढ़े नौ बजे जाती थी, और शाम 6 बजे के आस-पास आती थी। मैं आठ बजे जाता था, लेकिन आने का समय निश्चित नहीं था। अक्सर शाम सात बजे के बाद ही आता था। मैंने फ़ैसला किया कि उस दिन एक-डेढ़ बजे तक आ जाउंगा।
अचानक पत्नी की आवाज़ सुनाई दी, “क्या बात है? किरण की याद आ रही है क्या?”
मैंने नाश्ता कर लिया था, अपनी जगह से उठा, और पत्नी के पीछे खड़ा हो कर दोनों हाथों को उसकी गाउन के अंदर घुसाया।दोनों मस्त मांसल चूचियों को मसलते हुआ बोला, मैंने झूठ कहा।
“किरण को नहीं, किरण की हरकतों ने मुझे बीस साल पहले बाली चुलबुली मस्त अणिमा की याद दिला दी। पहले तुम मेरा कितना ध्यान रखती थी।”
पत्नी ने मेरी बात को काट कर कहा, “अगर तुम स्वार्थी नहीं होते तो आज भी वैसा ही ध्यान रखती।”
पत्नी की बात सुन कर मैं अकपका गया। मैंने पूछा कि कब मैंने उसका ध्यान नहीं रखा। पत्नी ने मेरे हाथों को गाउन के अंदर से निकाल कर खड़ी हो गई। दो कदम पीछे हट कर बोली,
“मैंने सब हिसाब रखा है। अपनी पहली चुदाई से लेकर अगले सात सालों में मैंने अपनी सहेलियों और जान पहचान की औरतों में से 47 माल को तुमसे चुदवाया। उनमें कई कुंवारी भी थी। लेकिन तुम मेरे लिए एक भी मर्द लेकर नहीं आये। फिर मैं और क्या करती? तुम्हारे लिए माल ढूंढना बंद कर दिया।
किरण की बातों से साफ़ मालूम पड़ता है कि वो तुमसे चुदवाना चाहती है। या तो खुद उसे पटाओ या अपनी बेटी से बोलो कि अपनी सहेलियों को तुमसे चुदवाए।”
पत्नी बिना मेरा जवाब सुने किचन में चली गई।
अणिमा ने जो कहा बिल्कुल सही कहा था। उस समय तक मैं इसी ग़लतफ़हमी में था कि मैं बहुत बढ़िया चुदाई करता हूं, इसलिए ही वो मेरे लिए माल ढूंढती थी, मुझसे चुदवाती थी। मुझे कभी महसूस भी नहीं हुआ कि मेरी पत्नी को भी दूसरे मर्द की ज़रूरत हो सकती थी। अगर ये ग़लतफ़हमी नहीं भी होती तो मैं किसी भी हालत में अपनी खूबसूरत पत्नी को किसी और से नहीं चुदवाता।
मैं अपने समय से ऑफिस के लिए निकल गया। सुबह की तीन मीटिंग ख़त्म कर मैंने अपनी सेक्रेटरी ग्रेसी (एक 32 साल की आकर्षक औरत) से कहा कि, “मेरी तबियत बहुत बेचैन लग रही है, इसलिए मैं घर जा रहा हूं”। और वो उस दिन की बाकी मीटिंग को दूसरे दिनों में एडजस्ट कर दे।
ग्रेसी मेरे पास आई और मेरा एक हाथ उठा कर अपनी चूचियों पर दबाती हुई बोली,
“नरेन आपको आराम की नहीं एक बढ़िया चुदाई की ज़रूरत है। चलो अपने पुराने अड्डे पर चलते हैं। क्या हो गया है इतनी बेचैनी किसलिए है?”
उसकी चूचियों को दबाते हुए बोला,
“ग्रेसी, मुझे लगता है कि मेरी पत्नी अणिमा किसी और से चुदवाती है।”
मेरी बात सुन कर ग्रेसी बहुत ज़ोर से हंसी। उसने कहा, “मैं शादीशुदा हूं और मुझे 6 साल से चोद रहे हो। इस फ़ैक्ट्री में 250 से ज़्यादा औरतें काम करती है। तुमने क़रीब क़रीब सभी को चोदा है। 8-10 को छोड़ कर बाक़ी सभी किसी ना किसी की पत्नी है। दूसरे मैनेजर भी चुदाई करते हैं लेकिन तुम्हारे सिवा सबकी 3-4 खास माल है, और तुम किसी को भी चोद लेते हो। फिर अगर तुम्हारी पत्नी को कोई चोद रहा है तो बेचैन क्यों होते हो?
अब तक मुझे अणिमा जैसी खूबसूरत औरत कोई दूसरी नहीं दिखाई दी। वैसी खूबसूरत औरत को दुनिया किसी एक आदमी की औरत बन कर रहने नहीं दे सकती है। मेरे जैसी साधारण दिखने बाली औरत को तुम जैसा बढ़िया डील-डौल बाला खूबसूरत आदमी सालों से चोद रहा है, तो तुम कैसे ऐसा सोच भी सकते हो कि तुम्हारी परी सी दिखने वाली पत्नी को दूसरे नही चोदते होंगे? अणिमा किससे चुदवाती है उसकी चिंता छोड़ कर अपने लिए नई माल ढूंढो। मैं पता लगाती हूं कि फ़ैक्ट्री में किसी नई औरत ने ज्वाईन किया है या नहीं। अणिमा की चिंता छोड़ो और तुम घर जा कर आराम करो।”
ग्रेसी ने क्या कहा क्या नहीं मैंने ध्यान नहीं दिया। मुझे अपनी बेटी को चोदना था। मैं डेढ़ बजे के पहले घर पहुंच गया। हम तीनों के पास घर की चाबी थी। मैं घर घुसा। थोड़ा आगे आया तो देखा कि जिस सोफ़ा पर बैठ कर नम्रता ने मुझे अपनी नंगी जवानी दिखाई थी उस के नीचे एक मोबाइल था। मैं ने मोबाइल उठाया। वो अणिमा का मोबाइल था। मुझे आश्चर्य हुआ कि जो औरत हर समय फ़ोन पकड़ कर बैठती है वो फ़ोन छोड़ कर बाहर कैसे गई?
मैंने फ़ोन को स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन बैटरी ज़ीरो था। मैंने मोबाईल फ़ोन को चार्जिंग के लिए लगाया, और अपने बेडरूम में जा कर नंगा हो गया। नंगा ही किचन में जाकर कॉफी बनायी, और बाहर आकर सोफ़ा पर बैठा। कॉफी पीते हुए यही सोचता रहा कि बेटी को चुदाई के लिए कैसे तैयार करूंगा। बार-बार यही सोचता रहा। कॉफी ख़त्म हो गयी। मैं बार-बार अपनी बेटी की नंगी जवानी को याद करता रहा।
अचानक मर्द की आवाज़ सुनाई दी,
“अणिमा रानी, तीन महीने से चोरी छिपे तुमसे प्यार करते हुए अब थक गया हूं”
मैंने इधर-उधर नज़र दौड़ाई तो देखा कि आवाज़ मोबाइल फ़ोन से आ रही थी। फ़ोन को हाथ में लेकर देखने लगा। देख कर भी विश्वास नहीं हुआ कि जिस सोफ़ा पर मैं बैठा था, उसी सोफ़ा पर मेरी पत्नी नंगी लेटी थी, और कोई 20-21 साल का खूबसूरत आदमी उसे चोद रहा था। मैं आंखें फाड़ कर विडियो देखता रहा और उनकी बातों को सुनता रहा।
वो आदमी मेरी पत्नी को चोदते हुए बोल रहा था,
“रानी, नरेन के साथ बीस-पच्चीस साल से हो, अब उसे छोड़ कर मुझसे शादी कर लो”
विडियो बंद हो गया। मैंने विडियो फ़ोल्डर को जांचा। विडियो उसी दिन का था। मैंने विडियो को शुरु से देखा। आदमी ने चूमते हुए अणिमा को सोफ़ा पर लिटाया। मैंने समय देखा, विडियो शुरु होने का समय था 9:45 और 10:25 को विडियो बंद हो गया था। अणिमा ने सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा ही पहना था। मतलब साफ़ था। अणिमा अपने यार का इंतज़ार कर रही थी। आदमी ने पहले ब्रा को खोला। दोनों चूचियों को दबाते हुए बारी-बारी से दोनो घुंडियों को चूसा। उसके बाद उसने पेटीकोट का नाड़ा खींच पेटीकोट को पैरों से बाहर निकाला।
रंडी ने भी अपनी बेटी जैसे पैंटी नहीं पहनी थी।
जैसा मैं हर बार चुदाई के पहले करता था, उस आदमी ने बुर को ना चूमा, ना ही चूसा। अणिमा सोफ़ा पर नंगी लेटी रही और उसके सामने खड़ा हो गया। उसने अपने सारे कपड़े उतारे। आदमी का लौड़ा पूरा टाईट था। लेकिन मुझे यह देख कर दुख हुआ कि मेरा लौड़ा अणिमा के यार के लौडा से कम से कम 2 इंच ज़्यादा लंबा था ही, मोटा भी था। फिर भी रंडी ने लौड़े को पकड़ कर चूमा और मुस्कुराते हुए बोली,
“अशोक, जल्दी से चोदो। आज डाइरेक्टर साहब के साथ भी मीटिंग है।”
यानी मेरी पत्नी के यार का नाम अशोक था।
अशोक मेरी पत्नी के उपर आया। अणिमा ने अपने एक पैर को फ़्लोर पर जितना फैला सकती थी फैलाया, और अशोक ने धक्का मारा।
“वाह राजा, मज़ा आ गया” ,अणिमा ज़ोर से बोली।
तभी मुझे लगा कि मेन डोर का दरवाज़ा खुल रहा था। मैंने फ़ोन को ऑफ कर एक मैगज़ीन के नीचे रखा ही था, कि दरवाज़ा खोल कर मेरी बेटी अंदर घुसी।
मुझे उठने या कपड़े पहनने का मौक़ा ही नहीं मिला। नम्रता ने अपने एक पैर से दरवाज़ा को ज़ोर का धक्का दिया। दरवाज़ा बंद हो गया। उसने अपना बैग फेंका और दौड़ती हुई मेरी गोदी में बैठ गई। कई बार मेरे गालों और होंठों को चूमा। एक हाथ से लंड को पकड़ कस कर दबाया।
मेरी बेटी ने ज़ोर से कहा, “पापा, मैं यह देखकर बहुत खुश हूं कि मेरे प्यारे पापा का बल्ला बेटी की चूत में शॉर्ट मारने के लिए तैयार है। मुझे मेरे बेड पर ले चलिए हम वहीं चुदाई का खेल खेलेंगे।”
मैंने अपनी तरफ़ से कोई कोशिश नहीं की और मेरी बेटी मेरे साथ चुदाई का खेल खेलने के लिए तैयार थी।